धर्मवीर आनंद
नई दिल्ली : आज आईसीडी तुगलकाबाद में दो अफसरों की तानाशाही से इंपोर्टर परेशान है पिछले डेढ़ साल से कोई अपील नहीं कोई दलील नहीं ऊपर कोई सुनवाई नहीं स्मगलिंग रोकने के नाम पर आतंक मचा रखा है। बड़ी संख्या में लोग पोर्ट छोड़कर जा चूके है क्या वह सब स्मगलर थे? डी.सी एसआईआईबी में आते ही इन अफसरों ने आंतक का खेल शुरू कर दिया था।
मोबाईल छीन लेना देर रात तक स्टेटमेंट लिखवाना डीआरआई स्टाईल में पूछताछ करना मेंटली टॉर्चर करना। एक कोर्ट का केस आया है कि अनाप-शनाप लाखों की पेनल्टी करोड़ो मे लगा रखी है। अभी एक ताजी घटना सामने आई है मेंटली टॉर्चर की अभी कोर्ट में डी.सी तथा ज्वाइंट कमिश्नर के खिलाफ एफिडेविट फाईल कर रहे है इंपोर्टर। एक कश्मीरी इंपोर्टर का किस्सा चर्चा में है बहुत ज्यादा मेंटली टॉर्चर किये गए की वह बीमार पड़ गये। मैं यह नहीं कहता की वह सब ठीक नहीं थे, वह मिस डिक्लरेशन नहीं करते थे। मगर जो स्टाईल है वह ड्रग स्मगलरों तथा आतंकवादी से पूछताछ जैसा है। वह इंपोर्टर है देश के और भी कई अफसर आज तक केस बनाते आये है आप कोई अनोखे तो है नहीं। इंपोर्टर भी अच्छे परिवार से होते है कोई क्रिमिनल तो है नहीं जितना कसूर हो सजा उतनी ही होनी चाहिए। आज हमे मजबूर होना पड़ा यह सब लिखने के लिए आज पूरे देश में चर्चे है यहां के मेंटली हैरसमेंट की। मगर कमिश्नर सोच रहे है कि स्मगलिंग रूक रही है। अगर किसी के साथ यह अन्याय हो रहा हो तो कमिश्नर को बुला कर पूछना चाहिए न कि इन अफसरों को ईमानदारी का सर्टिफिकेट देना चाहिए।
कमिश्नर को भी हर केस पर नजर रखनी चाहिए। क्या पोर्ट को बंद करना चाहती है सरकार या यहां का काम जानबूझकर दूसरे पोर्टों पर भेजना चाहती है ऐसा लोगों में चर्चा है। यहां से काम को भगाओ मुंबई, न्हावा शिवा, मुद्रा, कोलकाता ताकि वहां दिल्ली से दूर बैठे मगरमच्छ गलत काम को बढ़ावा दे सके और अपनी जेबे भर सके।