अन्य टैक्स में रजिस्टर्ड व्यापारियों को जीएसटी में भी कराना होगा रजिस्ट्रेशन

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इंदौर। वर्तमान में जितने भी व्यापारी वैट, सेंट्रल एक्साइज और सर्विस टैक्स में रजिस्टर्ड हैं, उन्हें जीएसटी के अंतर्गत अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन कराना होगा। यदि कोई व्यापारी जीएसटी का नंबर नहीं लेना चाहता तो उसे अपना वैट, सेंट्रल एक्साइज और सर्विस टैक्स नंबर तत्काल 30 जून 2017 तक निरस्त करना होगा। जो व्यापारी ऐसा नहीं करना चाहते हैं, उन्हें जीएसटी का नंबर ले लेना चाहिए।

यह बात वाणिज्यिक कर डिप्टी कमिश्नर सुदीप गुप्ता ने रविवार को इंदौर स्कूटर ट्रेडर्स एसोसिएशन द्वारा जीएसटी और आयकर के प्रावधानों की जानकारी देने के लिए आयोजित सेमिनार में कही। वे बोले यदि व्यापारी जीएसटी के अंतर्गत सभी जानकारी देते हुए डिजिटल सिग्नेचर या आधार कार्ड के माध्यम से जानकारी अपलोड नहीं करते हैं तो ऐसी स्थिति में उन्हें जीएसटी का स्थायी नंबर नहीं मिलेगा।

इस कारण उन्हें जीएसटी वसूलने और खरीदे गए माल पर इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त करने की सुविधा नहीं मिलेगी। उनके द्वारा बेचे गए माल पर क्रेता व्यापारी को भी इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त नहीं होगा, इसलिए व्यापारियों को 1 जून से फिर चालू हो रहे पोर्टल पर सभी जानकारी भरकर जीएसटी का प्रोविजनल प्राप्त कर लेना चाहिए।

दूसरे वक्ता आरएस गोयल ने बताया जीएसटी लागू होने की तारीख तक व्यापारियों का जितना माल स्टॉक में रह गया है और यदि उस माल से संबंधित बिलों में सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी अलग से दर्शाई गई है तो इसे व्यापारी को बिल में लगी पूरी एक्साइज ड्यूटी की छूट मिलेगी। किंतु यदि ऐसे स्टॉक में रहे माल के बिलों में सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी अलग से वसूल नहीं हुई तो ऐसी स्थिति में जीएसटी लागू होने के बाद बेचे गए माल पर चुकाए गए जीएसटी की राशि की 40 प्रतिशत छूट के बराबर छूट मिलेगी।

छूट का फायदा लेने के लिए व्यापारियों को जीएसटी लागू होने के 60 दिन में जीएसटी के टीआरएएन-1 और टीआरएएन-2 में जानकारी देना होगी। मुख्य अतिथि अहिल्या चेंबर्स ऑफ कॉमर्स के सुशील सुरेका ने सरकार से मांग की कि जीएसटी की हाल में घोषित दरों में बहुत ज्यादा विसंगतियां हैं, उन्हें दूर किया जाना चाहिए। इसके लिए उचित फोरम पर ज्ञापन दिए जा रहे हैं। डिप्टी कमिश्नर गुप्ता ने व्यापारियों के सवालों के जवाब भी दिए।

आयकर के प्रावधानों की जानकारी देते हुए सीए राजेश मेहता ने बताया किसी भी वस्तु अथवा सेवा का सिंगल बिल दो लाख से ज्यादा होने पर बिल पर क्रेता और विक्रेता, दोनों के पैन का उल्लेख करना अनिवार्य है। चाहे भुगतान नकद हुआ है या चेक से। ऐसा नहीं करने पर दोनों पर 10-10 हजार रुपए की पेनल्टी लगाई जा सकती है। किसी भी व्यापारिक खर्च, वस्तु क्रय या संपत्ति क्रय का भुगतान एक दिन में 10 हजार से ज्यादा नकद राशि में किया गया है तो पूरा खर्च अमान्य कर दिया जाएगा। अगर मोबाइल फोन, कम्प्यूटर, लैपटॉप जैसी ऐसी संपत्ति जिन पर डेप्रिसिएशन मिलता है, एक दिन में उनके लिए 10 हजार का ज्यादा नकद भुगतान करने पर उस वस्तु पर डेप्रिसिएशन (घसारा) की छूट नहीं मिलेगी।