डीआरआई ने तुगलकाबाद में 300 कंटेनर रोके तथा कई बैंक खाते किए सीज

Related imageनई दिल्ली। डीआआई कर तारीफ करे तो बड़े-बड़े स्मगलरों को पकड़ती है सोना पकड़ती है और न जाने क्या-क्या तीर मारती है। मगर कई बार डीआरआई भी गलत दिशा की तरफ चल पड़ती है। जीएसटी के कारण पहले ही परेशान एक्सपोर्टर आज डीआरआई की मार भी झेल रहे है दुबई जाने वाली सभी कंटेनरों को रोक कर उनकी जांच की जा रही है ओवरवेल्यू तथा कटे-फटे माल की।
अभी तक के जांच में कुछ नहीं मिला है। डीआरआई क्या चाहती हे। यह तो भगवान ही जानता है। इनके पास तो डबल चूड़ी वाला नट है जो दोनों तरफ चढ़ता है इनकी मर्जी हो तो बड़े स्मगलर को छोड़ दे इनकी मर्जी है किसी कंगले इम्पोर्टर एक्सपोर्टर पर सी.पी लगा दें। अभी फर्निचर के केस में क्या हुआ मार्किट में सुनाई देता है कि डीआरआई द्वारा 50 करोड़ से ज्यादा सरकारी खजÞाने में जमा हुआ मगर डीआरआई सूत्र बताते है कि 10 करोड़ के लगभग ही इकट्ठा हुआ है। सिंगापुर फर्नीचर एक्सपोर्टर से कितनी वसूली की गई यह जांच का विषय है। सारे देश के फर्नीचर इम्पोर्टरों को कई महीनों हिलायें से रखा गया। डीआरआई को कौन समझाये की मार्केट में हर बात पहुंचती है। शराब की टेबलों से यह बातें कहा तक पहुंच जाती है। लेन-देन संबंधी भी लोग बातें करते है। लिखना तो बहुत चाहता हूं डीआरआई की करस्तनियां मगर मैं नहीं चाहता की लोगों में डीआरआई का नाम खत्म हो जायें। डीआरआई में भी कई भ्रष्ट अफसर पहुंचकर वह कारनामें करते है। जो डीआरआई पर दाग लगा जाते है। आज डीआरआई डीजेडयू की स्थिति प्रिवेंटीव टाईप हो चूकी है। बिना पक्के सबूत के माल रोक लिया जाता है। भ्रष्ट सीएचए ऐजेंटों का माल कोई नहीं रोक रहा। सूत्रों की माने तो डीआरआई के कुछ भ्रष्ट अफसरों को वापिस उनके कमिश्नरेटों में भेज दिया गया है। सभी चाहते हे कि डीआरआई की अपनी गरिमा बनी रहे। मगर भ्रष्ट अफसर जो आते ही डीआरआई में पैसा कमाने के लिए जिनके लिए क्या मान क्या सम्मान। डीआरआई ने देश के लगभग 150 कम्पनियों के कंटेनर आईसीडी में रोकने के अलावा 87 बैंक खाते सीज किए हैं। एक ओर तो केन्द्र सरकार जीएसटी के माध्यम से देश को एक देश एक टैक्स की माला में पिरोने का प्रयास कर रही है। परनतु दूसरी ओर एक्सपोर्टर के माल को अकारण रो कर उन्हें बबार्दी की ओर धकेल रही है। जानकारी के अनुसार केवल आईसीडी तुगलकाबाद से जाने वाले माल को ही रोका जा रहा है, जबकि पड़पडगंज और मुम्बई डिपो से माल बेरोक-टोक जा रहा है। रोका गया माल केवल दुबई का है, जो 150 कम्पनियों का है उनमें से 30 से 35 के लगभग लुधियाना के एक्सपोर्टर्स भी शामिल हैं, जबकि अन्य सब दिल्ली के हैं। विभाग का तर्क है कि ये माल वैरिफिकेशन के लिए रोका गया है यहा सवाल यह है कि इस माल को पास करने वाले भी डीआरआई से संबधित कस्टम विभाग के अधिकारी ही है। इससे यह प्रतीत होता हैकि इस विभाग को अपने अधिकारियों पर ही विश्वास नहीं है।
यही कारण है कि देश के अन्य हिस्सों से माल जा रहा है और कुछ एक्सपोर्टर वही भेज रहे हैं परन्तु इस असुविधा का विभाग के पास कोई भी ठोस कारण नहीं है, इस कारण एक्सपोर्टरर्स को अनेक प्रकार के खर्च सहने पड़ेंगे, जो इनके लिए नुकसानदायक सिद्ध हो सकते हैं। जब इस संबंध में विभाग से बात करनी चाही तो उन्होंने कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया। परन्तु यह बात अवश्य कही कि वैरीफिकेशन के बाद माल को छोड़ दिया जाएगा लेकिन कब छोड़ा जाएगा, इसके बारे में कुछ भी कहने से साफ इंकार कर दिया।

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