2015 वर्ष रहा भ्रष्ट अफसरों तथा स्मगलरों का और डीआरआई की कामयाबी का

धर्मवीर आनंद।
नई दिल्ली : हर साल आता है और चला जाता है मगर हर साल अपनी कुछ छाप छोड़ जाता है। इस साल में कस्टम तथा सेंट्रल एक्साइज में भारी उथल-पुथल रही। सबसे बड़ी बात नजीब शाह चेयरमैन सीबीईसी की रही, लम्बे समय तक उनका चेयरमैन बनना लटकता रहा। लोगों में अफवाह चलती रही कि चेयरमैन बनेंगे या नहीं। दूसरी सबसे बड़ी खबर रही कमिश्नर अतुल दीक्षित का सीबीआई द्वारा अरेस्ट होना। कई जगह पर छोटे बड़े कस्टम एक्साइज अफसर रिश्वत लेते पकड़े जाने की खबरें आती रही। मगर स्मगलिंग बंद नहीं हुई। दिल्ली आईसीडी तुगलकाबाद हो या कोलकात्ता, चेन्नई, मुम्बई मुंद्रा पोर्ट पर स्मगलरों तथा भ्रष्ट अफसरों का राज रहा। डीआरआई अपनी कसरत पूरी करती नजर आई। पूरे साल में करोड़ों के केस बनाये गये और भारी मात्रा में ड्रग्स पकड़ी गई। कस्टम सिटी प्रिवेंटीव ने भी कई अच्छे केस बनाये। सेंट्रल एक्साइज एंटीविजन रहा भ्रष्टचार का अड्ड़ा। कई बड़े केसों को दफनाया गया। पूरा साल वसूली का काम होता रहा।
खबरें आती रही कि रिश्वत का भारी खेल हो रहा है। सिगरेट का भारी खेल हुआ। दिल्ली एयर कार्गो इम्पोर्ट तथा एक्सपोर्ट में भारी मिस-डिक्लरेशन तथा ड्रा-बैक घोटाले होते रहे। डीआरआई यहां भी एक्टीव दिखी। एयरपोर्ट पर भारी मात्राा में सोना पकड़ा गया। फिर भी स्मगलरों के हौसले बुलन्द रहे। गलत काम करने वाले क्लीरिंग एजेंटों का भी बोलबाला रहा। एयरपोर्ट से सोना गायब हो गया कोई पकड़ा नही गया। आईसीडी तुगलकाबाद में कंटेनरों से चट्टन निकल गई और भी कई माल के कंटेनर गायब हो गये, कोई पकड़ा नहीं गया। एफपीओ कोरियर टर्मिनल तथा आईसीडी तुगलकाबाद में करोड़ों की सिगरेट पकड़ी गई। साल की शुरुआत में कोरियर टर्मिनल से भारी मात्राा में सोना निकल गया कुल मिलाकर अरबों-खरबों की डयूटी चोरी होती रही। मगर सरकार सोती रही।
आईसीडी तुगलकाबाद में दविन्दर मिश्रा आये तो ऐसा लगा शायद पोर्ट सम्भाल नहीं पायेंगे। कई तरह की अटकलें फैलाई गई कि किसी से मिलते नहीं है। मगर जिस तरह से धीरे-धीरे पोर्ट को सम्भाल लिया, अब लोगों को समझ आने लगी कोई दिक्कत नहीं है। आईसीडी तुगलकाबाद में कमिश्नर एक्सपोर्ट जिस तरह से हटाये गये वह भी एक इतिहास रहा। इस साल का लाईसेंस बेचने का सबसे बड़ा घोटाला हुआ मगर आरोपी फरार है। करोड़ों का घोटाला हुआ मगर सब के मुंह पर उंगली है। सर्विस टैक्स कमिश्नर रिश्वत केस में पकड़े गये। कुल मिलाकर इन सारे सिस्टम में अगर कोई हीरो बन कर उभरा तो वह है डीआरआई। अफसरों के भ्रष्टाचारों पर बड़े-बड़े केस बना कर पर्दा डालने का काम करते रहे। पटाखा स्मगलरों ने इस दिवाली धूमधाम से मनाई सैंकड़ों कंटेनर निकल गये और डिपार्टमेंट लकीर पीटता रह गया। चट्टन स्मगलरों ने भी खूब पैसा बनाया। अफसरों ने पूरे साल रिश्वत का भारी खेल खेला मगर साफ बच गये। मुम्बई तो है ही भ्रष्ट नगरी वहां के बारे में क्या लिखें वहां के लोग जानते ही है ऐसी माया नगरी में जहां पैसे के अलावा दूसरी बात ही नहीं होती। दूसरी भ्रष्ट नगरी है कोलकात्ता जहां कस्टम को सबसे ज्यादा डयूटी का चूना लगता है। फिर आता है चैन्नई तथा मुंद्रा पोर्ट जहां स्मगलिंग का ग्राफ कभी ऊपर और कभी नीचे आता रहता है। एक टाईम में एक मुम्बई कमिश्नर ने एक बात कही थी कि दिल्ली में किंग रहते है तो मुम्बई में किंग मैकर रहते है। इसी तरह नया साल आता रहेगा सरकार सुधारों की बात करती रहेगी मगर सुधरेगा कोई नहीं। जो पकड़ा गया वह चोर बाकी सब ईमानदार। कुछ माफिया सीएचए जो बदनाम हो चुके है वो खुद सामने न आकर अपने लड़कों द्वारा गलत काम जोरों पर चला रहे है।

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