हाइब्रिड गाड़ियों पर सरकार का नजरिया बदल गया है

Image result for हाइब्रिड गाड़ियोंनई दिल्ली
हाइब्रिड गाड़ियों पर सरकार का नजरिया बदल गया है और वह इलेक्ट्रिक के साथ इन पर भी छूट देने की तैयारी कर रही है। केंद्र का मानना है कि इससे स्वच्छ ईंधन से चलने वाले गाड़ियों को बढ़ावा मिलेगा। डिपार्टमेंट ऑफ हेवी इंडस्ट्रीज (डीएचआई) की ओर से तैयार किए गए प्रस्ताव के मुताबिक, इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए फेम (फास्टर अडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक वीइकल्स) के दूसरे चरण में सभी सेगमेंट और सभी वीइकल टेक्नॉलजी में बैटरी साइज से जुड़े इंसेंटिव में हाइब्रिड गाड़ियों को भी शामिल किया जाएगा।

एक आला अधिकारी ने बताया कि प्लग-इन हाइब्रिड और स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड समेत सभी वीइकल पर प्रति किलोवॉट 10,000 रुपये की एक जैसी छूट दी जाएगी। हालांकि इनमें हाइब्रिड बसों को शामिल नहीं किया जाएगा। सरकार ने 2017 में हाइब्रिड गाड़ियों पर सब्सिडी खत्म कर दी थी और उसे 28 पर्सेंट के सबसे ऊंचे जीएसटी स्लैब में डाल दिया था। इन पर 15 पर्सेंट का अतिरिक्त उपकर यानी सेस भी लगाया गया था। इस वजह से हाइब्रिड गाड़ियों पर कुल टैक्स 43 पर्सेंट पहुंच गया था। इसके मुकाबले इलेक्ट्रिक गाड़ियों को 12 पर्सेंट के जीएसटी स्लैब में रखा गया था। सरकार चाहती है कि 2030 तक सड़क पर चलने वाली हर गाड़ी इलेक्ट्रिक हो।
हाइब्रिड गाड़ियों पर सरकार का रुख बदलवाने के लिए सुजुकीटोयोटा और होंडा जैसी जापान की दिग्गज कंपनियों ने लॉबिंग तेज कर दी थी। उन्होंने सरकार से कहा था कि जब तक देश में सिर्फ इलेक्ट्रिक गाड़ियां नहीं चलतीं, तब तक वह हाइब्रिड और स्वच्छ ईंधन से चलने वाली दूसरी गाड़ियों को भी बढ़ावा दे। कंपनियों ने कहा था कि इससे आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता घटेगी और प्रदूषण कम करने में भी मदद मिलेगी। महिंद्रा ऐंड महिंद्रा और टाटा मोटर्स जैसी घरेलू कंपनियां इसका विरोध कर रही थीं। वे सीधे इलेक्ट्रिक गाड़ियों को अपनाने पर जोर दे रही थीं। सरकार ने कहा था कि वह स्वच्छ ईंधन पर जोर देने के अपने प्रयास के तहत किसी एक टेक्नॉलजी तक सीमित नहीं रहेगी। हालांकि, उसने इसके लिए खास उपाय नहीं किए हैं।
अधिकारी ने बताया, ‘हमने देखा कि हाइब्रिड/इलेक्ट्रिक वीइकल्स और इंटरनल कंबशन इंजन (आईसीई) वीइकल्स में असल फर्क बैटरी की लागत का है। इसके लिए प्लग-इन हाइब्रिड समेत सभी गाड़ियों पर प्रति किलोवॉट 10,000 रुपये की समान छूट देने पर विचार किया गया। प्रस्तावित पॉलिसी में इलेक्ट्रिक बसों के लिए प्रति किलोवॉट 20,000 रुपये की छूट देने की बात कही गई है, जिससे आईसीई बस के साथ लागत में अंतर को 6 साल में ऑपरेशनल बचत से वसूला जा सके।

souce by : NBT

You are Visitor Number:- web site traffic statistics