नई दिल्ली : डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) की जांच में इंडिया-आसियान फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के उल्लंघन के एक मामले में सोनी कॉर्प की भारतीय सब्सिडियरी का नाम आया है। इस पर पैरेंट फर्म से बिना ड्यूटी चुकाए सामान इंपोर्ट करने का आरोप है। सरकार ट्रेड एग्रीमेंट्स तोड़ने वाली कंपनियों पर सख्ती कर रही है और इस सिलसिले में यह नया मामला है।
डीआरआई के एक सूत्र ने बताया, ‘इस मामले में जांच चल रही है।’ उन्होंने कहा कि डीआरआई के अधिकारी कंपनी के ऑफिस डॉक्युमेंट्स रिकवर करने के लिए गए थे। इस मामले में सोनी की भारतीय सब्सिडियरी को सप्लायर्स से मिले फ्रेश डॉक्युमेंट्स सौंपने की मांग की गई है। इसमें कंपनी के अधिकारियों के बयान भी दर्ज किए गए हैं। डीआरआई के अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में कंपनी पर 300 करोड़ की देनदारी बन सकती है।
सोनी इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, ‘टीवी के इंपोर्ट के मामले में सोनी इंडिया को कोई शोकॉज नोटिस नहीं मिला है। हमें अभी इस बारे में और कुछ नहीं कहना है।’ हालांकि, डीआरआई के अधिकारियों ने ईटी को बताया कि इस मामले में जांच चल रही है और जल्द ही शोकॉज नोटिस भेजा जाएगा। यह मामला मलेशिया से टीवी इंपोर्ट करने से जुड़ा है। ये टीवी सेट्स सेमी-नॉक्ड डाउन स्टेट में इंपोर्ट किए गए थे और इन्हें स्पेयर पार्ट्स घोषित किया गया था। आसियान ट्रेड पैक्ट के तहत स्पेयर पार्ट्स पर कम ड्यूटी लगती है।
इंडो-आसियान ट्रेड एग्रीमेंट में आसियान क्षेत्र में बनने वाले कई सामान पर बहुत कम ड्यूटी लगती है। हालांकि, आसियान के जिस देश से सामान भारत आ रहा है, वहां इसमें 35 पर्सेंट का वैल्यू एडिशन छूट हासिल करने के लिए जरूरी है। अगर वैल्यू एडिशन नहीं हुआ है तो भारत ड्यूटी पर छूट देने से मना कर सकता है। इस एग्रीमेंट के तहत एलसीडी पैनल पर जीरो ड्यूटी लगती है, जबकि दूसरे पार्ट्स के लिए 4 पर्सेंट की इंपोर्ट ड्यूटी लगाई जाती है। ध्यान रहे कि टीवी की कुल कॉस्ट में 80 पर्सेंट कंट्रीब्यूशन एलसीडी पैनल का होता है। इंडो-आसियान ट्रेड एग्रीमेंट के तहत कलर टेलीविजन पर बेसिक कस्टम ड्यूटी 10 पर्सेंट है। इसका मतलब यह है कि सेमी नॉक्ड डाउन स्टेट में इंपोर्ट करने पर काफी ड्यूटी बचाई जा सकती है।
डीआरआई ने इस मामले में मलेशिया में 35 पर्सेंट वैल्यू एडिशन पर सवाल उठाया है। एजेंसी के मुताबिक, इन एलसीडी पैनल्स की मैन्युफैक्चरिंग मलेशिया में नहीं हुई थी। इसलिए 35 पर्सेंट वैल्यू एडिशन का दावा गलत है। एजेंसी के एक अन्य सूत्र ने कहा कि पिछले बकाया ड्यूटी के लिए कंपनी इस साल पहले ही 100 करोड़ रुपये जमा करा चुकी है। उसने इस साल फरवरी से एफटीए के तहत ड्यूटी बेनेफिट्स भी लेने बंद कर दिए हैं। इस तरह के मामले में सिर्फ सोनी का नाम नहीं आया है। इससे पहले डीआरआई ने तोशिबा और हायर से भी ड्यूटी की मांग की थी।
स्रोत : ईटी