नई दिल्ली : छोटे निर्यातकों के करोड़ों रूपये के ड्यूटी ड्रॉ- बैक बैक के जल्द निपटारे के लिए कस्टम विभाग एक डिस्पोजल ड्राइव शरू करने जा रहा है। ड्यूटी ड्रॉ -बैक एक्सपोर्ट के मकसद से शुरू की गई मैनुफैक्चरिंग पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी और कच्चे माल के आयात पर दी गई इम्पोर्ट ड्यूटी का रिफंड है। दो महीने तक चले वाले अभियान में करीब 600 करोड़ रिफंड के नपटारे की उम्मीद है।
जो ऑल इंडस्ट्री एवरेज रेट्स (एआईआर) के तहत क्लैम करने वाले छोटे निर्यातकों से ताल्लुक रखता है। इसके तहत वर्षों से लंबित वे क्लैम भी निपटाये जायेंगे, जिन्हे कुछ जरूरी दस्तावेज न मिलने के कारण विभाग बंद कर चुका है।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ एक्साइज एंड कस्टम (सीबीईसी) ने दिल्ली एक्सपोर्ट एसोसिएशन (डीईए) के साथ मिलकर एक सितम्बर से 31 अक्टूबर 2015 के बीच लंबित ड्रॉ -बैक के निपटारे का फैसला किया है। डीईए के प्रेसिडेंट टी. आर. मानकतला ने बताया कि यह अभियान ख़ास तौर से छोटे निर्यातकों के लिए चलाया जा रहा है। जो विभागों के चक्कर काट सकते हैं। बड़ी कंपनियां जिन्हे ब्रांडेड या फिक्स्ड रेट ड्रॉ-बैक की सुविधा हासिल होती है, वे सीधे या व्यक्तिगत तौर पर अपने रिफंड ले लेती है। हालाँकि ईआईआर के तहत छोटे -छोटे रिफंड कई बार जटिल प्रक्रिया के चलते या विभाग के बैलेंसशीट सुधरने के चक्कर में रह जाते हैं। उन्होंने बताया कि दो महीने के दौरान करीब 600 करोड़ के रिफंड निपटाये जाने की उम्मीद है।
ओखला की एक्सपोर्ट फर्म मोनिका गारमेंट के एमडी अनिल वर्मा ने बताय कि विभाग ने पिछले दो तीन साल में ड्रॉ -बैक रिफंड की रफ़्तार धीमी कर दी है। खास तौर पर उन निर्यातकों का जिनकी शिपिंग लाइन या एयरलाइन्स ने विभाग में एक्सपोर्ट जनरल मेनिफेस्ट (ईजीएम) जमा नहीं कराया या देरी कर दी।
स्रोत : ईटी