नई दिल्ली। एक तरफ ई-वे के अनुसार काम करने के लिए नए नियमों को समझने में ट्रेड और इंडस्ट्री के लोग उलझे हुए हैं वहीं दूसरी तरफ सेंट्रल जीएसटी के अफसरों ने ट्रांस-1 फार्म भरने वाली फर्मों के परिसर में आकर दस्तावेज
चैक करने के नोटिस जारी कर दिए हैं।
ये फार्म उन लोगों ने भरा है जिन्होंने पुराने वैट की रकम को जीएसटी में कैरी फारवर्ड किया था। शहर में तीन दर्जन फर्मों को नोटिस मिले हैं। इन पर सभी को अपनी टैक्स रिटर्नों के दस्तावेज देने के लिए कहा गया है। ये भी लिखा है कि जल्द ही विभाग की टीम आपके परिसर में आकर इन्हें वेरिफाई करेगी।
जब जुलाई में जीएसटी लगा था तो सरकार ने कहा था कि जो सामान व्यापारी ने वैट देकर खरीदा है इस पर जीएसटी नहीं लेंगे। आप हमें ट्रांस-1 फार्म में वैट की डिटेल भरकर दें। इसे जीएसटी से एडजस्ट कर देंगे। व्यापारियों ने राहत की सांस ली थी क्योंकि इस तरीके से दोहरा टैक्स लगने से बचाव हो गया।
जालंधर में हैंडटूल, पाइप फिटिंग, वाल्व एंड काक्स के सैकड़ों यूनिटों ने ये वैट को जीएसटी में एडजस्ट किया था। अब जीएसटी के सेंट्रल विंग के टैक्सेशन अफसर फर्मों के कांप्लेक्स में जाकर वेरिफिकेशन करने को लेकर नोटिस भेज रहे हैं। बोगस बिलिंग के अंदेशे के चलते ऐसा किया जा रहा है।
उधर कारोबारी संगठनों का कहना है कि जीएसटी में सारा सिस्टम आॅनलाइन है। इसमें सारी जानकारी व्यापारी से आॅनलाइन मांगनी है, इसी में लिखित में हर कोई जवाब देगा। ऐसे में मौके पर आकर चेकिंग करना सीधे तौर पर इंस्पेक्टरी राज को बढ़ावा देने वाली बात है।
शहर में तीन दर्जन फर्मों को टैक्स रिटर्नों के दस्तावेज देने के लिए कहा है जीएसटी रिफंड की चोरी के लिए न तो व्यापारी कुछ बेचते हैं और न कुछ खरीदते हैं। बस बिल काटे जाते हैं। ये बिल नकली होते हैं।
ऐसे मामले के आरोप में जांच स्टार्ट हुई है। इसके बाद टैक्सेशन अफसर एहतियात बरत रहे हैं। जिसके बाद ट्रांस-1 की वेरिफिकेशन शुरू हो गई।
जो रिटर्न लोग आॅनलाइन भरते हैं ये पुख्ता ट्रांसपेरेंट सिस्टम है। जो स्टाक वैट देकर खरीदा था वो भी इस्तेमाल हो गया था। लोगों ने पूर्व में काटे बिल व रिटर्न के दस्तावेज ही जमा किए।
अब शक करना मेरे विचार में कंप्लायंस को बढ़ाने वाला है। आॅनलाइन जवाबदेही कारगर है।
मौके पर आकर वेरिफिकेशन की जरूरत नहीं है।
एडवोकेट अमित बजाज हम फाइनेंस मिनिस्ट्री को चिट्ठी लिखकर इंस्पेक्टरी राज रोकने को कहेंगे जीएसटी लगाते हुए सरकार ने कहा था कि इंस्पेक्टर राज खत्म होगा। कारोबारी माहौल सहज होगा। लेकिन अब क्यों लोगों के आॅफिस में टैक्सेशन टीमें भेजी जाएंगी हम केंद्रीय वित्त मंत्रालय को इसे ल्ंोकर लेटर भेजेंगे। तमाम तरह की जवाबदेही इंडस्ट्री के लोग देने को तैयार हैं।
आॅनलाइन कंप्लायंस होनी चाहिए। मौके पर जाकर वेरिफिकेशन से वक्त की बबार्दी है। इंस्पेक्टरी राज भी बढ़ेगा। कामकाज को सरल करना चाहिए।