मुंबई : मुंबई एयरपोर्ट पर तस्करों की बढ़ती घुसपैठ से निपटने के लिए अब इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस सिस्टम का सहारा लिया जा रहा है। मुंबई में इसकी शुरुआत पिछले सप्ताह ही की गई। इस सिस्टम की मदद से संदिग्ध यात्रियों पर नजर रखी जा सकेगी और तस्करी पर अंकुश लगाया जा सकेगा। इस सिस्टम को भारतीय कस्टम विभाग ने शुरू किया है। तकनीक को द इंडियन कस्टम अडवांस्ड पैसेंजर इन्फर्मेशन सिस्टम (APIS) नाम दिया गया है। ये अडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम देश के अन्य पांच बड़े हवाई अड्डों पर भी लगाए जा रहे हैं।
मुंबई में रहा कारगर
साल 2014 में मुंबई एयरपोर्ट पर एक हजार किलोग्राम गोल्ड जब्त किया गया था। इससे पहले देश के किसी भी एयरपोर्ट पर इतनी बड़ी मात्रा में गोल्ड जब्त नहीं हुआ था। तमाम सख्ती और सघन जांच के बाद भी मुंबई एयरपोर्ट पर तस्करी की वारदातें सामने आती रहीं। ऐसे में दिसंबर महीने के अंतिम सप्ताह में यहां APIS सिस्टम शुरू किया गया। कस्टम के एक अधिकारी ने इस सिस्टम के काफी कारगर होने की पुष्टि की। इस अधिकारी के मुताबिक, विमान आने से पहले ही कस्टम को उसमें सवार यात्रियों और उनके बारे में काफी जानकारी मिल जाती है।
कैसे करता है काम?
एयरलाइन विमान के सभी यात्रियों, एयरलाइन क्रू मेंबरों और स्टाफ की सूचना इमिग्रेशन और कस्टम विभाग को देती है। इस सूचना में से APIS सिस्टम संदिग्धों के नाम पर फोकस कर देता है। कस्टम सूत्रों के मुताबिक, अधिकांश मौकों पर वे ही लोग तस्करी में लिप्त पाए गए हैं, जो आए दिन यात्रा करते हैं। ऐसे में यह सिस्टम यात्रियों की सूची में से उन नामों को अलग दिखा देता है, जो फ्रीक्वेंट फ्लायर होते हैं। इन नामों को अपने रेकॉर्ड से मिलाकर कस्टम उनकी जांच में और ध्यान देता है।
कब हुई शुरुआत?
इसकी शुरुआत गत वर्ष नवंबर में दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर हुई थी। वहां इसके सफल रहने के बाद वित्त मंत्रालय के सेंट्रल बोर्ड ऑफ कस्टम ने इस योजना को देश के अन्य एयरपोर्ट्स पर भी शुरू करने का निर्णय लिया।
स्रोत : नवभारत टाइम्स