मुंबई : मोदी सरकार वैसे तो इंस्पेक्टर राज खत्म करने की बात करती है, लेकिन हकीकत में इंस्पेक्टर राज में नियमों की कैसे धज्जियां उड़ाई जा रही है इसका खुलासा फॉरेन ट्रेड विभाग की एक कारगुजारी से हुआ है। आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (डीजीएफटी) ने क्रूड कैफीन आयात करने के लिए एक कंपनी को बिना किसी जांच पड़ताल के तीन अडवांस लाइसेंस जारी कर दिए।
आरटीआई से जानकारी निकालवने वाले नेमीचंद जैन ने मुंबई में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों के बताय़ा कि क्रूड कैफीन इंपोर्ट करने और उसे प्रॉसेस करने के लिए सबसे पहले प्रॉसेसिंग कंपनी के पास ड्रग्स लाइसेंस होना जरूरी है, लेकिन डीजीएफटी ने जिस हेल्थ केयर कंपनी को यह लाइसेंस जारी किए हैं, उसके पास ड्रग्स लाइसेंस ही नहीं है। अपने दावे के समर्थन में उन्होंने एफडीआई के दस्तावेजों का हवाला दिया। इतना ही नहीं जब इस सारे मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (डीआरआई) ने की तो कई अनियमितताओं का पता चला। इस जांच के आधार पर कस्टम विभाग ने कंपनी को शो केस नोटिस जारी किए। डीआरआई ने अपनी जांच के आधार पर डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (डीजीएफटी) से कंपनी को दिए गए अडवांस लाइसेंस रद्द करने को भी कहा, बावजूद इसके डीजीएफटी लाइसेंस रद्द करने के बजाए कंपनी और गलत तरीके से लाइसेंस जारी करने वाले अधिकारी को बचाने में लगी है।
स्रोत : नवभारत