न्हवाशेवा पोर्ट पर कंटेनर स्कैनिंग बना वसूली का जरिया

मुंबई : न्हवाशिवा सी-पोर्ट देश के सबसे बडे़ पोटों‍र् में गिना जाता है।  इस पोर्ट पर रोज बड़ी संख्या में कंटेनरों की कतारें देखी जा सकती है। न्हवाशिवा स्कैनिंग सेक्शन जो प्रतिदिन बाहर से इम्पोर्ट किये गये सैकड़ों कंटेनरों को स्कैनिंग करता है। न्हवाशिवा पोर्ट से कंटेनर जब बाहर निकलता है तो वह सीधा स्कैनिंग सेक्शन में जाता है और इसे स्कैनिंग करने का एक मात्रा स्थान सीडब्लूसी अकेला कंटेनर यार्ड है जहां सभी कंटेनरों को स्कैन किया जाता है।
न्हवाशिवा कस्टम के स्कैनिंग सेक्शन में कुल 16 सुप्रिडेंटों की नियुक्ति है वर्तमान में यही सुप्रिडेंट पूरा स्कैनिंग की जिम्मेदारी सँभालते हैं। हर रोज एक तरफ जहाँ स्कैनिंग के लिए कंटेनरों की लम्बी कतारें लगी होती है तो दूसरी तरफ यातायात आवागमन भी बाधित होता है वजह स्कैनिंग की प्रक्रिया एवं इसकी कार्यप्रणाली इतनी जटिल होती है कि यदि इम्पोर्टर ब्रोकर चाहे कि वह एक हफ्ते में अपने कंटेनर को स्कैनिंग करवा कर कस्टम से आउट ऑफ चार्ज ले ले तो वह मुश्किल है।
न्हवाशिवा स्कैनिंग सेक्शन में कार्यरत सभी कस्टम सुप्रिडेंटों को स्कैन होने वाले सारे कंटेनरों की जानकारी अच्छी तरह होती है।  इन्हें पता होता है कि हम किन-किन सीएचए के कंटेनर को स्कैन  में गड़बड़ी बताकर उनसे पैसे वसूलेंगे।  उन्हें बतायेंगे कि स्कैनिंग इमेज काला है मतलब यदि कंज्यूमर्स गुड्स है या फर्नीचर का कंसाइनमेंट है तो लाजमी है कि स्कैन की गई कंटेनर की इमेज काली ही होगी। बस इसी के आड़ में इनकी वसूली प्रति कंटेनर हजारों रुपये में होती है। लेट-लतीफ और कस्टम ग्रुप के चक्कर काटने से अच्छा दे लेकर मामला सुलझा लेने में ही सीएचए अपनी भलाई समझते है और होता यही है। सभी कंटेनर जो इम्पोर्ट के होते है उनके इमेज काला बताकर एक बड़ी लिस्ट बनाकर उनके द्वारा तय समय एवं स्थान पर वसूली हो जाती है।
सबसे महत्वपूर्ण है कि आजतक स्कैनिंग के दौरान कोई भी कंटेनर गड़बड़ी करते नहीं पकड़ा गया है। फिर स्कैनिंग सेक्शन कंटेनर की स्कैनिंग इमेज को काला बताकर किस बात की वसूली करता है। यदि उन कंटेनरों की इमेज काली है तो इसमें सीएचए एवं इम्पोर्टर तो दोषी नहीं है उन्हें धमका कर ये कस्टम सुप्रिडेंट क्यों परेशान करते है यदि उनके कंटेनर में वाकई कोई मिस-डिक्लरेशन या गलत सामान है तो इनकी जांच करके क्यों नहीं? अफसर इन कंटेनरों पर कोई एक्शन क्यों नहीं लेते हैं।
 इसलिए न्हवाशिवा पोर्ट पर कंटेनरों की स्कैनिंग मात्र रोज लाखों की वसूली का जरिया बना हुआ है। यहाँ तक कि जब कस्टम सुप्रिडेंट जब सीआईयू जैसी विभागीय जांच यूनिट में भी जाते है तो इसमें से कई वहां भी अपनी तरकीब से उगाही करना शुरु कर देते है।
रेवेन्यू न्यूज के पास सूत्रों से ऐसी जानकारी मिलती रही है किस तरह अफसर ने कंटेनर रोक कर इम्पोर्टर से लाखों की वसूली की। उदाहरण के तौर पर कुछ 5 साल पहले न्हवाशिवा कस्टम में एक सुप्रिडेंट की तैनाती थी जिसके नाम से पूरे मुम्बई कस्टम में दहशत बनी रहती थी लेकिन इसी दहशत की आड़ में उस सुप्रिडेंट ने कई करोड़ों रुपये न्हवाशिवा सीआईयू में बैठकर कमाए। जिसकी दहशत तो स्मगलरों में भी थी लेकिन इसी के आड़ में उसने वहां बैठ कर कंटेनरों को क्लीयर करवाने के बदले करोड़ों रुपये बनाए। एक सीएचए के अनुसार यह सुप्रिडेंट कंटेनर रोककर कहते है कि कोई दूसरा मोबाइल, एसेसरीज वाला इम्पोर्टर ट्रेडर बताओ तभी तेरे कंटेनर की एनओसी मिलेगी। अन्त में वह सीएचए एक मोटी रकम देकर अपना माल छुड़ा पाता था। इसी तरह एक को छोड़ कर दूसरे को होल्ड पर डालना उस अफसर के वसूली करने का तरीका बन गया था।  इसके वसूली में एक डिस्पोजल का काम करने  वाला व्यक्ति भी था। इन्हीं भ्रष्ट अफसरों के कारण न्हवाशिवा पोर्ट आज देश में न:1 भ्रष्ट पोर्ट है। स्मगलिंग का गढ़ कहा जाता है यह पोर्ट। पूरे देश के गलत काम करने वाले यह लोग इसी पोर्ट पर अपना माल क्लीयर करवाते है। भ्रष्ट अफसर भी मोटे पैसे और अप्रोच से यहां अपनी पोस्टिंग करवाते है।
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