इंडियन रेवेन्यू सर्विसेज आॅफिसर्स के 67वें बैच को संबोधित करते हुए छोटे टैक्सपेयर्स के लिए कंप्लायंस का बोझ घटाने का संकेत भी दिया।नई दिल्ली : फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने कहा कि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स से राजस्व बढ़ने पर इस नए टैक्स सिस्टम में सुधार करने की गुंजाइश है और तब छोटे टैक्सपेयर्स के लिए नियमों के पालन का बोझ भी घटाया जा सकता है। उन्होंने कहा, श्रेवेन्यू न्यूट्रल हो जाने पर हमारे पास सुधार की गुंजाइश है। तब अपेक्षाकृत छोटे स्लैब जैसे बड़े रिफॉर्म्स के लिहाज से सोचा जा सकेगा, लेकिन उसके लिए हमें रेवेन्यू न्यूट्रल प्लस होना होगा।श् रेवेन्यू न्यूट्रल स्ट्रक्चर का मतलब यह है कि सरकार और राज्यों को जीएसटी के तहत पहले वाले सिस्टम के मुकाबले राजस्व का कोई नुकसान न हो।
जेटली नेशनल एकेडमी आॅफ कस्टम्स, इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड नारकोटिक्स (छ।ब्प्छ) की ओर से आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे। जीएसटी में 5, 12, 18 और 28 पर्सेंट के चार स्लैब्स हैं। इनके अलावा कुछ गुड्स पर कोई टैक्स नहीं है और बेसिक स्लैब से ऊपर के कुछ प्रॉडक्ट्स पर जीएसटी कंपनसेशन सेस लगाया जाता है। अधिकतर टैक्स एक्सपर्ट्स ने इस स्ट्रक्चर को जटिल कहा है। जेटली ने इंडियन रेवेन्यू सर्विसेज आॅफिसर्स के 67वें बैच को संबोधित करते हुए छोटे टैक्सपेयर्स के लिए कंप्लायंस का बोझ घटाने का संकेत भी दिया। उन्होंने कहा, जीएसटी लागू किए हुए अभी 2-3 महीने हुए हैं। हमारे पास सुधार करने की गुंजाइश है।श् जेटली ने कहा कि इनडायरेक्ट टैक्स का बोझ समाज में हर व्यक्ति पर पड़ता है, लिहाजा यह सरकार का प्रयास रहता है कि ज्यादा उपभोग वाली कमोडिटीज पर टैक्स कम रहे। उन्होंने कहा, डायरेक्ट टैक्स का भुगतान ज्यादा अमीर लोग करते हैं। कमजोर वर्ग तो इसका भुगतान नहीं ही करता है, लेकिन इनडायरेक्ट टैक्स का असर सभी पर पड़ता है। इसलिए हमेशा ही फिस्कल पॉलिसी के तहत यह सुनिश्चित करने का प्रयास रहता है कि जिन कमोडिटीज का उपभोग आम लोग ज्यादा करते हों, उन पर दूसरों के मुकाबले कम टैक्स लगाया जाए।
उन्होंने कहा कि भारत ऐसा समाज है, जिसमें बहुत लीकेज है और यह ऐसा समाज है, जो परंपरागत रूप से टैक्स नियमों का पालन करने पर ध्यान नहीं देता रहा है, लेकिन अब इसमें एक बड़ा बदलाव आ रहा है। जेटली ने कहा, श्लोग नियमों के पालन का महत्व धीरे-धीरे समझने लगे हैं।
उन्होंने कहा कि लोगों को अधिकार है कि वे विकास की मांग करें, लेकिन उनकी यह जिम्मेदारी भी है कि उस विकास के लिए जो जरूरी हो, उसके लिए वे पैसा चुकाएं।