नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते भारत में हो रही सोने की तस्करी

वाराणसी। पड़ोसी देशों के रास्ते भारत में सोने की तस्करी में जबरदस्त तेजी आई है। बैंकॉक, सउदी अरब, श्रीलंका सहित विभिन्न देशों से चोरी-छिपे सोना नेपाल व बांग्लादेश लाया जा रहा है। जहां से सड़क मार्ग से उन्हें देश के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचा जा रहा है। अच्छी मार्जिन के चलते तस्कर कोई भी रिस्क उठाने को तैयार हैं। एक बार सोना पार करने पर कैरियर (सोना लाने ले जाने वाले) को 15 से 20 हजार रुपये का फायदा हो जाता है। तस्करी के इस कारोबार में पूर्वांचल के कई कारोबारी भी लगे हैं।

 

वारणसी, पूर्वांचल की सबसे बड़ी सराफा मंडी हैं। यहां आभूषणों की खपत होने के साथ ही उन्हें अन्य क्षेत्रों को भेजा जाता है। साथ ही सोने, चांदी को गलाने का बड़े पैमाने पर काम होता है। भारत में सोने पर कस्टम ड्यूटी सेवा कर ज्यादा होने के चलते दूसरे देश से सोना मंगाने पर प्रति ग्राम दो से तीन हजार रुपये का फायदा हो जाता है। ऐसे में सउदी अरब, बैंकॉक, स्विट्जरलैंड, श्रीलंका आदि देशों से सोना नेपाल और बांग्लादेश लाया जाता है। यहां से सोने को चोरी छिपे बाहर निकालने के बाद उसे सड़क मार्ग से भारत लाया जाता है। बंगाल से आने वाली ट्रेनों से भी सोने की तस्करी की जाती है। कस्टम विभाग के आधिकारिक सूत्रों की मानें तो पिछले कुछ दिनों में सोने की तस्करी में तेजी से वृद्धि हुई है। इससे मुख्यालय को भी अवगत करा दिया गया है। सोने पर लग रहे भारी टैक्स में छूट के लिए भी मंत्रालय स्तर पर प्रयास किया जा रहा है।
नेपाल में सोने पर कस्टम ड्यूटी सेवा कर की छूट हो जाने से तस्करों को सीधा मुनाफा नजर आ रहा है। भारत की अपेक्षा नेपाल में सोने के रेट में 1500 रुपये से ज्यादा का अंतर आ जाता है। भारत में सोने का रेट प्रति 10 ग्राम लगभग 33 हजार रुपये तो नेपाल में 30 हजार प्रति दस ग्राम रेट है। सिंगापुर से आने वाले गोल्ड पर नेपाल में सर्विस टैक्स व कस्टम ड्यूटी भारत की अपेक्षा काफी कम है। तस्करों की निगाहें लंबी मार्जिन के कारण सोने पर टिक गई हैं। इससे सीमावर्ती क्षेत्रों में धड़ल्ले से गोल्ड की तस्करी की जा रही है। जिले के कई सराफा कारोबारी भी इसमें लिप्त हैं। खास कैरियर के माध्यम से सोने की तस्करी करा रहे हैं। सिंगापुर में निर्मित सोने की बिस्किट की खपत का सबसे बड़ा एरिया बुटवल बन चुका है। जहां से प्रतिदिन भारत में बीस किलो से ज्यादा सोना तस्करी के माध्यम से सीमावर्ती क्षेत्रों से लाया जाता है। इनकी खपत वाराणसी के अलावा गोरखपुर, दिल्ली आदि क्षेत्रों में होती है। सीमावर्ती क्षेत्र कोटिया बार्डर और खुनुवां, पकड़िहवा तस्करों के लिए मुफीद साबित हो रही है।

 

सौजन्य से: अमर उजाला

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