पिछली बार सोचा था कि अगली बार कुछ पॉजीटिव लिखुंगा। आधा गिलास भरा है वह लिखू या आधा गिलास खाली है यह लिखू। मगर लिखना वही पड़ेगा जिसकी मात्रा ज्यादा है। सारा दिन टी.वी से लेकर अखबारों तक तथा होटल से लेकर बाजारों तक देखा जाये तो कुछ भी अच्छा नजर नहीं आता टी.वी पर देखों तो हत्या, लूटपाट, बार्डर पर लडाई भाई भाई को मार रहा है। नाबालिक लड़कियों से बलत्कार, कई देश आपस में लड़ रहे है यही कुछ अखबारों में पढ़ लो दिमाग को ठंडा करने वाली कोई खबर नहीं होती। 16 पेज के अखबार में आधे से ज्यादा पेज नेगेटिव खबरो के होते है आखिर में फिल्मी पन्ना ही देखना पड़ता है।- इसी तरह होटल में जाओं तो खराब खाना आटा मलने से लेकर बर्तन धोने तक कई कमिया जो आपका स्वास्थ्य खराब कर सकता है इन सब परेशानियों कि असली वजह सोचने की कोशिश करते है तो हमारी सरकार में ही कमी नजर आती है। हर खराब सिस्टम के पीछे कोई न कोई डिपार्टमेंट है। कही सफाई डिपार्टमेंट जिम्मेदार है तो कही फूड वाले कही नाप-तोल वाले तो कही डीडीए तो कही ‘पी.डब्लू.डी’ पब्लिक को जब तक ठीकठाक बना बनाया सिस्टम नहीं मिलेगा तब तक पबिल्क अपने आप सिस्टम कैसे बना सकती है अपने पास से कोई सिस्टम ठीक करेगा नहीं।
सारा सिस्टम तो खराब नेताओं का किया हुआ है पब्लिक कितनी जिम्मेदार है। सरकार ज्यादातर कार्य अमीर लोगों के लिए करती है और दूसरी तरफ आम आदमी हर तरफ पिसता है। आम आदमी की हालत स्कूल से लेकर कॉलेज तक फिर नौकरी से लेकर बिजनेस तक तथा किराये के घर से लकर अपने घर बनाने तक पिसता ही पिसता है। एक जन्म तो नकाफी है अच्छे ढ़ंग से जीने के लिए दूसरी बार फिर जन्म लेना पड़ता है। ईमानदार लोग ज्यादा पिसते है भ्रष्टाचारी मौज लेते है कई लोग ऐसे भी है जो मजबूरी में न चाहते हुए भी गलत सिस्टम को पकड़ते है। इस पूरे सिस्टम को देखा जाये तो सरकार ही दोषी नजर आती है। भ्रष्ट नेताओं तथा अफसरों के बनाये इस सिस्टम में देश के लोग मजबूरी में जी रहे है। हर इन्सान भय में जी रहा है। कल क्या होगा कोई गारन्टी नहीं। एक तरफ मोदी जी भ्रष्ट लोगों से काला धन निकालते रहेंगे और दूसरी तरफ यह भ्रष्ट अफसर काला धन इकट्ठा करते रहेंगे। इसी चक्कर में हमारे देश की जनता ताली बजा-बजा कर मर जायेगी और नेता सपने दिखा-दिखा कर राज करते रहेंगे।