डीआरआई ने पकड़ी सोने की सबसे बड़ी तस्करी

नई दिल्ली: डीआरआई कोलकाता यानि डायरेक्टरेट ऑफ रेवन्यू इंटेलीजेंस डिपार्टमेंट ने शायद पहली बार सोने की इतनी बड़ी तस्करी पकड़ी है। पांच लाख की कार से करीब 24 करोड़ रुपये के सोने की तस्करी की जा रही थी। इस कार की इंजन में करीब 88 किलो सोना छिपाकर म्यामांर के रास्ते भारत लाया जा रहा था। यह कार जैसे ही दार्जिलिंग के सिलीगुड़ी पहुंची डीआरआई की टीम ने इस कार को रोका। इतनी बड़ी मात्रा में सोना तस्करों ने इंजन में छिपाकर रखा था। दो लोगों को पकड़ा भी गया, लेकिन वह महज कैरियर यानि मोहरे थे। हालांकि डीआरआई की टीम इनसे पूछताछ कर रही है।

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पिछले कुछ दिनों की घटना से एक बात साफ है कि सोने की तस्करी का एक नया रूट तस्करों ने इजाद किया है। पुराने जमाने के गोल्डेन रूट से पहले अफीम की तस्करी होती थी, लेकिन अब इसी रास्ते सिंगापुर और थाईलैंड से सोना लाकर फिर म्यांमार से भारत में सोने की तस्करी हो रही है। भारत के हवाई अड्डों पर सख्ती होने के चलते अब पूर्वी राज्यों की सड़कों से सोने की बड़े पैमाने पर तस्करी की जा रही है। डीआरआई सूत्रों के मुताबिक तस्करी का सोना दुबई, सिंगापुर, थाईलैंड लाकर म्यामांर के कलेवा कस्बे में पहुंचाया जाता है फिर ये मणिपुर के मोरेह के पोरस बार्डर से भारत में दाखिल होता है। सोने के तस्कर इन्हें कार, बस या रेलवे के जरिए दिल्ली, चेन्नैई, कोलकाता जैसी जगहों पर बैठे लोगों को ये सोना पहुंचाते है।सूत्रों के मुताबिक चेन्नई का स्मगलर मोहम्मद हनीफ 2013 के बाद बड़े पैमाने पर सोने की तस्करी का सिंडीकेट चलाता है। इसी साल भारत ने सोने की इंपोर्ट ड्यूटी दो फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दी थी। उसी के बाद सोने की तस्करी में 200 फीसदी तक इजाफा हुआ है। हनीफ के बारे में माना जा रहा है कि वह इन दिनों सिंगापुर में बैठकर अपने कैरियर के जरिए सोने की तस्करी करवा रहा है। डीआरआई कोलकाता ब्रांच ने बीते दो सालों में तस्करी का करीब 500 किलो सोना पकड़ा है। सूत्रों के मुताबिक म्यामांर और बांग्लादेश की करीब 200 किलोमीटर पोरस बार्डर है इसी के चलते पहले सोना सिंगापुर, दुबई और थाईलैंड से म्यामांर भेजा जाता है।

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