जीएसटी से व्यापारी असमंजस में, साल भर में दूर नहीं हुई समस्याएं

वस्तु कर सेवा (जीएसटी) के लागू हुए सालभर हो गया है। इसमें कई संशोधन हो चुके हैं और हर माह लगातार संशोधन का क्रम जारी है। जिन्होंने ने शुरू में जीएसटी की पूरी जानकारी हासिल की, अब उनकी जानकारी अधूरी रह गई है । कारोबारियों का मनाना है कि जीएसटी की प्रैक्टिस कर रहे वकील व संधी लेखाकारों को अभी तक जीएसटी की पूरी जानकारी नहीं है क्योंकि जीएसटी में लगातार संशोधन हो रहे हैं। इसमें ज्यादा दिक्कत छोटे और मझले कारोबारियों को हो रही है छोटे व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी की वजह से उनका व्यापार चौपट हो रहा है। अधिकांश समय इसकी खानापूर्ति में लग जाता है और खर्च का बोझ भी बढ़ गया है । एकाउंट व हिसाब रखने के लिए जहां पहले छोटे दुकानदारों को प्रतिमाह 500 से 1000 तक का खर्च आता था अब 5000 से 10000 रुपए खर्च आ रहा है। मझले व्यापारियों को और ज्यादा खर्च आ रहा है। ऐसे व्यापरियों का कहना है पहले के मुकाबले अब खर्च चार गुना बढ़ गया है । जीएसटी में रिसेट और तिमाही इनके लिए सबसे बड़ा सिरदर्द साबित हो रहा है । कारोबारियों का कहना है । कि सरकार को जीएसटी में रिसेट का विकल्प फिर से उपलब्ध कराना चाहिए ताकि गलती ठीक करने के लिए अगले महीने तक इंतजार न करना पड़े। पहले यह विकल्प था लेकिन अब हटा लिए जाने से फाइलिंग में कॉफी परेशानी हो रही है । जीएसटी हेल्पडेस्क के जरिए भी समाधान नहीं मिल पाता इससे रिटर्न भरने में देर हो जाती है जिसके चलते उन पर जुर्माना लग जाता है। मशीन आधारित हेल्पडेस्क के अलावा मैनुअल व्यवस्था भी होना चाहिए ।

सौजन्य से: दैनिक भास्कर

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