देहरादून । जीएसटी लागू होने के बाद प्रदेश के राजस्व में आई भारी गिरावट ने सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। इस संबंध में वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने राज्य माल और सेवा कर विभाग की सचल इकाइयों की समीक्षा की तो प्रति देखकर उनका पारा चढ़ गया। उन्होंने पाया कि वर्ष 2016-17 (जीएसटी लागू होने से पहले) सचल इकाइयों ने 33 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त किया था। जबकि जीएसटी के बाद यह महज छह करोड़ पर सिमट गया है।
मंगलवार को आयुक्त राज्य कर कार्यालय में समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि एक साल के भीतर कर में 82 फीसद की गिरावट आना बताता है कि सचल इकाइयां अपनी जिम्मेदारी का ढंग से निर्वहन नहीं कर रही हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य के बाहर से उत्तराखंड में माल लेकर आने वाले वाहनों की सघन चेकिंग की जानी चाहिए। माल का भौतिक सत्यापन भी करना आवश्यक है।
इसके अलावा उन्होंने रेलवे के माध्यम से आ रहे टैक्स चोरी के माल के खिलाफ निरंतर चेकिंग करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा, जिस माल का उत्तराखंड में उपभोग किया जा रहा है, वह हर दशा में वैध प्रपत्रों में ही आए। ताकि आइजीएसटी के तहत राज्य का हिस्सा मिल सके। वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि जो भी कार्मिक अपने काम के प्रति लापरवाह नजर आएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। बैठक में वित्त मंत्री अमित नेगी, आयुक्त राज्य कर सौजन्या, अपर आयुक्त पीयूष कुमार, विपिन चंद्र आदि उपस्थित रहे।
रसीदें नहीं कट रही, ई-वे बिल की भी जांच नहीं
वित्त सचिव अमित नेगी ने कहा कि बड़े कारोबारियों के स्तर से उतनी रसीदें नहीं कट रही हैं, जितनी कटनी चाहिए। वहीं, ई-वे बिल की भी उचित ढंग से जांच-पड़ताल नहीं की जा रही। भौतिक सत्यापन निम्न स्तर का होने के चलते राज्य को पर्याप्त जीएसटी प्राप्त नहीं हो पा रहा है। वित्त सचिव ने निर्देश दिए कि ई-वे बिल और टैक्स से बचने के लिए नए-नए हथकंडे अपनाने वाले कारोबारियों व ट्रांसपोर्टरों पर मोबाइल टीमों के माध्यम से छापेमारी की जाए। वित्त सचिव ने मुख्यालय में संयुक्त आयुक्त स्तर के अधिकारियों को भी फील्ड में कार्यरत प्रवर्तन अधिकारियों से लगातार प्रगति रिपोर्ट प्राप्त करने को कहा।
खनन कारोबारियों पर भी कार्रवाई
वित्त सचिव ने खनन कारोबारियों के अघोषित विक्रय धन को प्रकाश में लाने के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि सेवा क्षेत्र (लेबर सप्लाई, केटरिंग व वर्क्स कॉन्ट्रेक्टरों) से पर्याप्त रूप से कर प्राप्ति की दिशा में काम करने की जरूरत है।