जीएसटी रिटर्न पर जुर्माने से बड़ी राहत देने की तैयारी

जीएसटी परिषद की शुक्रवार यानी आज होने वाली बैठक में कारोबारियों को बड़ी राहत मिल सकती है। इस जुड़े सूत्रों ने बताया कि जीएसटी परिषद छोटे कारोबारियों को ध्यान में रखकर देरी से रिटर्न भरने पर लगने वाले जुर्माने में बड़ी कमी कर सकती है।

जीएसटी परिषद को सलाह देने वाले केंद्र और राज्य के अधिकारियों के एक पैनल ने पाया है कि देरी से बिलंब शुल्क का बोझ बड़े कारोबारियों के मुकाबले छोटे कारोबारियों पर अधिक पड़ता है। पैनल ने जो सुझाव दिए है उसके अनुसार, देरी से रिटर्न (फॉर्म 3बी) भरने पर लगने वाला अधिकतम शुल्क 10,000 रुपये से घटाकर 500 रुपये कर दिया जाए। यह बड़े से छोटे टर्नओवर वाले कारोबारियों पर लागू होगा।

सूत्रों के अनुसार, 28 मई को जीएसटी परिषद की बैठक में जीएसटी रिटर्न को लेकर एक एमनेस्टी स्कीम का ऐलान किया जा सकता है। इस स्कीम के दायरे में 1 जुलाई 2017 से लेकर अप्रैल 2021 तक के सभी पेंडिंग जीएसटीआर-3बी रिटर्न को शामिल किया जाएगा। इस स्कीम की सुविधा लेने वालों के लिए अनुपालन विंडो खोला जाएगा। माना जा रहा है कि यह विंडो इस साल 1 जून से 31 अगस्त तक तीन महीनों के लिए खुला रहेगा।

जीएसटी व्यवस्था के तहत, रिटर्न फाइल नहीं करने की वजह से टैक्सपेयर्स से जुर्माना वसूला जाता है। अगर किसी टैक्सपेयर की टैक्स देनदारी जीरो है और उन्होंने रिटर्न नहीं भरा है तो 20 रुपये प्रति दिन के हिसाब से जुर्माना लागू होता है, जबकि टैक्स देनदारी वालों को 50 रुपये प्रति दिन के हिसाब से जुर्माना देना होता है। लेट फीस की यह रकम 10,000 रुपये प्रति महीने तक अधिकतम है।

कोरोना की दूसरी लहर के आर्थिक दुष्प्रभाव की वजह से जीएसटी संग्रह पर भी विपरीत असर पड़ने की बात कही जा रही है। बैठक में कोरोना की दूसरी लहर के राज्यों की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर को लेकर भी चर्चा होगी। बैठक में आटो उद्योग को कुछ राहत देने को लेकर भी चर्चा हो सकती है।

आठ माह बाद होगी बैठक

पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में केंद्र ने राज्यों के जीएसटी राजस्व में कमी की भरपाई के लिए उनकी तरफ से कर्ज लिया था और उन्हें 1.10 लाख करोड़ रुपये जारी किए थे। इसके अलावा 68,700 करोड़ रुपये उपकर के जरिए संग्रह किए गए थे। जीएसटी परिषद की बैठक करीब आठ महीने बाद 28 मई को हो रही है।

सिक्किम की सेस की मांग पर फैसला संभव

कोरोना महामारी के दौर में राज्य नए टैक्स लगाकर आय के साधन जुटाने की तरफ बढ़ने पर विचार कर रहे हैं। हिंदुस्तान को सूत्रों के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक सिक्किम सरकार ने जीएसटी परिषद की बैठक में राज्य को कोरोना सेस की मंजूरी देने की मांग की है। जीएसटी परिषद की बैठक में कोरोना सेस लगाने को मंजूरी देने पर फैसला किया जा सकता है। सिक्किम सरकार फिलहाल ये सेस फार्मा और ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों पर लगाने का विचार कर रही है। फार्मा उत्पादकों पर 1 फीसदी और ऊर्जा क्षेत्र पर 0.1 फीसदी सेस लगाने का प्रस्ताव जीएसटी बैठक के एजेंडे में शामिल है। ये सेस मौजूदा और अगले यानी दो वित्तवर्ष के लिए लगाने की मांग की गई है जिससे राज्य को अतिरिक्त 250 करोड़ रुपए कमाई होने की उम्मीद है।

शून्य जीएसटी संभव नहीं

सूत्रों के जरिए ये भी जानकारी मिली है कि सरकार वैक्सीन पर पूरी तरह से जीएसटी हटाने के मूड में नहीं है। हालांकि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, मेडिकल ऑक्सीजन और पल्स ऑक्सीमीटर जैसी चीजों पर दरें घटाई जा सकती है। जानकारी के मुताबिक बैठक के एजेंडे में कोरोना से जुड़े सिर्फ 4 उत्पादों पर जीएसटी घटाने का मामला ही शामिल किया गया है जिसमें अभी तक वैक्सीन को शामिल नहीं किया गया है। हालांकि राज्यों की तरफ से इस बारे में पुरजोर मांग कई बार उठाई जा चुकी है कि वैक्सीन को जीएसटी से मुक्त किया जाए। ऐसे में बैठक के दौरान कई राज्य इस मुद्दे पर हंगामा भी कर सकते हैं। संभावना इस बात की भी पूरी है कि कई राज्य केंद्र सरकार पर बैठक के दौरान वैक्सीन पर जीएसटी हटाने का दबाव बनाएं। इस बैठक में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण, वित्तराज्य मंत्री अनुराग ठाकुर, राज्यों के वित्तमंत्रियों के आलावा केंद्र और राज्य सरकार से जुड़े अधिकारी भी शामिल रहेंगे।

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