चीनी खिलौनों का कारोबार हुआ कम नियम हुए सख्त

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फ्यूचर रीटेल के निदेशक राकेश बियाणी के अनुसार इन नए नियमों से बड़े खेप बीच में ही अटक गए हैं। उन्होंने कहा हम अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार सुरक्षित खिलौने आयात करते हैं।
अब उन खिलौनों को भारतीय मानक का पालन करना होगा जो लगभग अंतर्राष्ट्रीय मानक के समान है। इस तरह प्रक्रिया में देरी होगी और हमारे स्टोरों पर खिलौनों की उपलब्धता कम हो जाएगी। यदि यह स्थिति जारी रहती है तो नवंबर में खिलौनों में 50 फीसदी की गिरावट होगी। उनके अनुसार नया नियम अप्रैल 2018 से प्रभावी होना चाहिए था। आॅल इंडिया खिलौने मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मनीष कुकरेजा ने कहा सरकार ने जब से नया नियम लागू किया है तब से चीनी खिलौने के आयात में 50 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।
देश में इस वक्त 70 फीसदी से अधिक खिलौने चीन से आयात होते हैं। इससे इन कड़े नियमों का घरेलू कंपनियों पर भारी असर पड़ा है। सरकार को इन पर कस्टम ड्यूटी भी मिलती थी। लेकिन सरकार बच्चों की सेहत से किसी तरह का समझौता नहीं कर सकती है। घरेलू खिलौना उद्योग करीब 5000 करोड़ रुपए का है।
जिन खिलौनों के आयात पर सख्ती की गई है उनमें इलेक्ट्रॉनिक खिलौने स्लाइड्स झूले और एक्टिविटी टॉयज शामिल किए गए हैं। अधिसूचना के अनुसार खिलौनों की फीजिकल व मेकेनिकल प्रॉपर्टी केमिकल कांटेट ज्वलनशीलता और टेस्टिंग पर नए मानक तय किए गए हैं।
जो भी खिलौना इन मानकों पर खरा उतरेगाए केवल उसी को देश भर में बेचने की अनुमति प्रदान की गई है। कंपनियों या फिर इंपोर्टर को ऐसे खिलौनों के लिए स्वतंत्र लैबोट्ररी से सर्टिफिकेट भी लेना होगा।

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