शिमला। चाकलेट एवं अन्य कई कांफेक्शनरी उत्पाद बनाने वाली मल्टीनेशनल कंपनी कैडबरी के फर्जीवाड़े में राज्य सरकार के कुछ अफसर नप गए हैं। केंद्र सरकार ने कंपनी को 570 करोड़ की एक्साइज ड्यूटी चोरी का नोटिस देते हुए राज्य सरकार के कुछ अफसरों पर पेनल्टी लगाने की सिफारिश की है। ये अफसर उद्योग और श्रम विभाग के हैं। टैक्स चोरी का ये नोटिस कंपनी की बद्दी यूनिट का है, जो संदौली गांव में स्थित है। सेंट्रल एक्साइज इंटेलिजेंस महानिदेशालय ने 2011 में शुरू हुई जांच में मिले तथ्यों के आधार पर अब डिमांड ऑर्डर जारी किया है। इसमें 231 करोड़ पेनल्टी और अन्य सारी राशि एक्साइज ड्यूटी की है।
यह एक्साइज ड्यूटी जुलाई, 2010 से दिसंबर 2013 के बीच की है, जिसका भुगतान कंपनी ने नहीं किया। आरोप है कि कंपनी ने बद्दी यूनिट को 31 मार्च, 2010 से पहले उत्पादन में आया दिखाकर राज्य में चल रहे औद्योगिक पैकेज के तहत एक्साइज ड्यूटी में छूट क्लेम की, जबकि यहां उत्पादन इसके कई महीनों बाद शुरू हुआ था। राज्य सरकार के उद्योग निदेशालय ने भी कंपनी को 31 मार्च, 2010 का सर्टिफिकेट जारी किया, जो जांच के अधीन है। कंपनी के पास यह सर्टिफिकेट अन्य विभागों के लाइसेंस और स्थानीय निकाय के एनओसी से भी पहले ही आ गया था। सेंट्रल एक्साइज इंटेलिजेंस ने बद्दी यूनिट को कंपनी की घोस्ट यूनिट करार देते हुए अपने ऑर्डर में कहा है कि इस टैक्स चोरी में राज्य सरकार के कुछ अफसर भी शामिल थे, जो उस समय बद्दी में तैनात थे। इसी आधार पर इन पर पेनल्टी लगाई गई है। उस समय राज्य में भाजपा की सरकार थी।
इस बारे में उद्योग मंत्री मुकेश अग्रिहोत्री ने कहा कि कैडबरी मामला पिछली सरकार के समय का है। कंपनी के खिलाफ चल रही जांच में राज्य सरकार के कुछ अफसरों की मिलीभगत सामने आई है। आधिकारिक तौर पर केंद्र सरकार से दस्तावेज मिलने के बाद इन अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। टैक्स चोरी साबित हुई तो किसी को नहीं बख्शेंगे।
स्रोत : हिमांचल दस्तक