कस्टम एंड सेंट्रल एक्साइज तथा सर्विस टैक्स भारत का सबसे बड़ा कमाऊपूत डिपार्टमेंट मगर सुविधा के नाम पर जीरो

कस्टम एंड सेंट्रल एक्साइज तथा सर्विस टैक्स भारत का सबसे बड़ा कमाऊपूत डिपार्टमेंट मगर सुविधा के नाम पर जीरो

दिल्ली सर्विस टैक्स हेडक्वार्टर काम ज्यादा अफसर कम – रोहतक कमिश्नरेट चल रहा है शॉपिंग कॉम्पलेक्स में 

नई दिल्ली : आज देश को कस्टम एंड सेंट्रल एक्साइज तथा सर्विस टैक्स, से 46 प्रतिशत रेवेन्यू मिलता है। 5.6 लाख करोड़ का रेवन्यू देने वाला सबसे बड़ा डिपार्टमेंट है, मगर सुविधा के नाम पर यहाँ के हालात बहुत खराब हैं। रेवेन्यू न्यूज़ रिपोर्टर ने दिल्ली सर्विस टैक्स डिपार्टमेंट तथा रोहतक कमिश्नरेट की जांच-पड़ताल कर देखा कि अफसर कितनी बदहाली में काम कर रहे हैं।

रोहतक में अगर आपको कभी एक्साइज डिपार्टमेंट में कहीं जाना पड़ जाए तो एक जवान तथा पढे़ लिखे व्यक्ति को साथ लेकर जाना पडे़गा, क्योंकि सब कुछ भूल भुलैया तथा फ्लोर-वाइज है। बदबू मारते कमरे, टूटे फर्श, गंदे बदबू मारते बाथरूम। ऐसे लगता है जैसे एमसीडी के ऑफिस में आ गए हैं। पटवार खाने का पूरा रूप देख सकते हैं। उबड़-खाबड़ सीढि़यां देखकर लगता है जैसे किसी को फायदा पहंुचाने के लिए यह जगह ली गई है। इतना किराया देने के बाद भी कोई अच्छी बिल्डिंग क्या रोहतक में है ही नही, जहां सभी तरह की सुविधाएं हो और सभी साथ-साथ बैठ कर काम कर सके। डिवीजन तथा रेंज के ऑफिस 2 किलोमीटर पर हैं।

अडिशनल कमिश्नर कहीं बैठते हैं और ए.सी. कहीं और सूत्र बताते हैं कि डिपार्टमेंट ने कई साल पहले 5 एकड़ जगह ले रखी हैं। मगर सीपीडब्लूडी ने अभी तक इसको बनाने का ठेका नहीं दिया है। अफसरों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि सरकारी प्रक्रिया इतनी ढीली है कि जवानी में कमिश्नरेट की बिल्डिंग बनाने का प्लान करो बुढ़ापे में यह काम पूरा होता है।

अभी गुडगाँव के कमिश्नरेट की बिल्डिंग में शिफ्ट शुरू होने से, लेकर शिफ्ट होने तक 22 साल का समय लगा। उसमे भी कई साम, दंड, भेद लगाने पड़े। अगर में वह सब लिखूं तो कईयों को प्रॉब्लम हो सकती है।

सर्विस टैक्स में जाकर देखो हर जगह हर तरफ फाइलों में दबे बैठे है अफसर। सीढि़यों पर फाइलें बिखरी पड़ी हैं, दूसरे तथा तीसरे माले पर बुरा हाल है। तीन प्रिंटर हैं पूरे कमिश्नरेट में। ए.सी काम करते नहीं है कमियां लिखें तो पेज भर जाये। अफसरों से बात करो तो यही कहते हैं हम आशावादी हैं, कभी तो सुधार होगा। एक बात सच्ची लिख दूँ तकलीफ तो सबको होगी मगर लिखना बहुत जरूरी है। अगर इस डिपार्टमेंट में रिश्वत का भारी खेल न हो तो जिस तरह से डिपार्टमेंट में भारी असुविधा है। कोई अफसर बैठना पसंद न करे। सरकार की कमजोरियां चारों तरफ नजर आती हैं। स्टाफ पूरा नही, अगर सरकार इस डिपार्टमेंट पर पूरा ध्यान दे तो रेवेन्यू और बढ़ सकता है।

दूसरी कमी जो अब देखने को मिल रही है। जो सुप्रिडेंट इंस्पेक्टर अच्छा काम करते हैं, उनकी तादाद धीरे-धीरे कम होती जा रही है। वह भारी निराश हैं क्योंकि सही काम करने वालों को कोई शाबाशी नहीं देता, पैसे तथा शाबाशी माफिया अफसरों को ही मिलती है। मैं तो यह सलाह देता हूँ, कि अगर कोई बिल्डिंग या कमिश्नरेट बनाना है तो इन माफिया अफसरों को लगा दो तथा इनको कह दोॉकी यह बिल्डिंग जल्दी से जल्दी बनकर दो। पांच साल के लिए दिल्ली-। एंटीविजन में लगा दिया जाएगा। तो फिर देखो हर साल में एक कमिश्नरेट की बिडिंग बना देंगे। यह टॉप-20 माफिया अफसर जिनको छुट्टी की एप्लीकेशन लिखनी नहीं आती मगर मलाईदार पोस्टिंग लेने तथा प्रोटोकॉल में नम्बर वन हैं।

सरकार ईमानदार अफसरों की कद्र करे, नहीं तो यह लोग भी निराश होकर काम करना बंद कर देंगे। माफिया अफसरों की पोस्टिंग पर लगाम लगाई जाये, ताकि सही काम करने वाले अफसरों में कम से कम यह बात बैठ जाए कि यहाँ डिपार्टमेंट में काम करने वालों की कद्र होती है।

भारत सरकार इस बात पर खास ध्यान दे कि अफसरों को रेंक के हिसाब से पूरी सुविधा दें ताकि वह सुचारु रुप से काम कर सके।

You are Visitor Number:- web site traffic statistics