जयपुर : प्रदेश में चल रहे कफ सिरप का अवैध कारोबार करने वाले दवा विक्रेता डीआरआई की जांच की रडार पर आ गए हैं। कफ सिरप के अवैध कारोबार की जांच डीआरआई ने शुरू कर दी है। टीम ने स्वास्थ्य निदेशालय में स्थित औषधि नियंत्रण संगठन के मुख्यालय में इस दवा की खरीद फरोख्त के दस्तावेजों की जानकारी ली और अधिकारियों से पूछताछ की। औषधि नियंत्रण संगठन के अधिकृत सूत्रों की माने तो प्रदेश में अलग-अलग जिलों में दवा विक्रेताओं ने १२ लाख से ज्यादा कफ सिरप बेची।
प्रदेश में कफ सिरप का अवैध कारोबार उजागर होने के बाद इस दवा की खरीद फरोख्त की शिकायत वित्त मंत्रालय को गई। वित्त मंत्रालय की जांच के बाद अब डीआरआई की टीम ने पूरे प्रदेश में बीते एक दो वर्षों में किस किस दवा विक्रेता ने कफ सिरप बेची इसकी पड़ताल शुरू की है। संगठन के अधिकारियों का कहना है कि कफ सिरप की अवैध खरीद फरोख्त में पहले ही संगठन के कुछ अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। वहीं भरतपुर के एक दवा विक्रेता ने इसकी शिकायत पहले भी संगठन के अधिकारियों को दी थी। शिकायत के बाद मिशन निदेशक ने कफ सिरप का अवैध कारोबार करने वाले दवा विक्रेता का लाइसेंस निरस्त कर दिया था।
धड़ल्ले से बिकती है कफ सिरप
प्रदेश में नशे के लिए खांसी में काम आने वाली कफ सिरप का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। स्थिति एेसी है कि नशेड़ी एक दिन में चार से पांच बोतलें कफ सिरप की गटक जाते हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में बिना डॉक्टर की पर्ची के भी यह कफ सिरप आसानी से उपलब्ध है। इसकी बिक्री की अवैध तरीके से रोकथाम के लिए औषधि नियंत्रण संगठन ने आज तक कोई ठोस योजना नहीं बनाई है। संगठन के अधिकारियों का कहना है कि बिक्री की मॉनिटरिंग नहीं होने से दवा विक्रेता कफ सिरप बेच कर मोटी कमाई कर रहे हैं।