एक्सपोर्टर को वैट मामले में मिल सकती है मुक्ति

नई दिल्ली : वैट मुक्त होने के बावजूद एक्सपोर्ट आइटम्स की खरीद पर पहले वैट वसूलने और फिर रिफंड देने की प्रक्रिया में सुधार के लिए दिल्ली सरकार जल्द ही एक जांच कमिटी बनाएगी। वैट रिफंड में देरी से न सिर्फ एक्सपोर्टर्स को फंड की कमी से जूझना पड़ता है, बल्कि सरकार की कंप्लायंस कॉस्ट भी बढ़ती है। इस अकेली समस्या के चलते बड़ी संख्या में एक्सपोर्टर्स के दिल्ली से उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में शिफ्ट होने की शिकायतों को दिल्ली सरकार ने गंभीरता से लिया है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, जम्मू और कश्मीर ने वैट अमेंडमेंट कर ऐसी व्यवस्था बनाई है, जिसमें एक्सपोर्टर्स को एक फॉर्म के जरिए ऐफिडेविट देना होता है कि उनका माल एक्सपोर्ट होगा और सरकार वैट नहीं वसूलती।
दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और वित्त विभाग के प्रभारी मनीष सिसोदिया ने दिल्ली एक्सपोर्टर्स असोसिएशन के एक कार्यक्रम में वैट नहीं वसूलने की मांग पर एक कमिटी बनाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार अब बिजनस प्रोसेस को आसान करने के सभी उपाय तलाश रही है और हम इसकी जांच भी करेंगे कि मौजूदा प्रक्रिया की जरूरत है या नहीं। किसी का पैसा सिर्फ इसलिए नहीं रोका जाना चाहिए कि ऐसी प्रक्रिया चली आ रही है।’ उन्होंने बताया कि उनकी सरकार ने हाल ही में विधानसभा से वैट अमेंडमेंट कराकर ट्रेडर्स के लिए इनपुट क्रेडिट के कैरी फॉरवर्ड की सुविधा बहाल की है।
दिल्ली एक्सपोर्टर्स असोसिएशन के जनरल सेक्रट्री अनिल वर्मा ने कहा कि वर्षों तक वैट रिफंड लटके रहने से एक्सपोर्टर्स को वर्किंग कैपिटल की कमी से जूझना पड़ता है और उन्हें महंगी दरों पर बाहर से कर्ज लेना पड़ता है। उन्होंने बताया, ‘हाल में बड़ी संख्या में छोटे एक्सपोर्टर नोएडा, गाजियाबाद और राजस्थान के शहरों में शिफ्ट होने लगे हैं। सिर्फ वैट चुकाने के चलते उत्तर प्रदेश, राजस्थान के मुकाबले दिल्ली में इनपुट कॉस्ट 10-15 पर्सेंट महंगी हो जाती है। पिछले दिनों मिनिमम वेज में इजाफे के बाद पड़ोसी राज्यों के मुकाबले यहां लेबर कॉस्ट और बढ़ गई है।’
वैट विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि एक्सपोर्ट पर वैट चार्ज नहीं करने की मांग लंबे समय से चली आ रही है, लेकिन इस बारे में विधायी संशोधन करने होंगे। हालांकि, एक्सपोर्टर्स को रिफंड जल्द दिलाने के लिए विभाग समय-समय कोशिशें करता रहा है।
एक आकलन के मुताबिक, वैट विभाग के पास एक्सपोर्टर्स के करीब 1,000 करोड़ रुपये का रिफंड लंबित है। हाल ही में विभाग में एक एक्सपोर्ट सेल बनाया गया था, हालांकि यह भी बहुत कारगर साबित नहीं हुआ। वैट विभाग ने पिछले साल डीजीएफटी के साथ एक समझौता कर एक्सपोर्टर्स के बीईआरसी ऑनलाइन एक्सेस करने के राइट्स हासिल किए थे। तब विभाग ने आश्वासन दिया था कि यह सुनिश्चित होते ही कि कोई ट्रांजैक्शन एक्सपोर्ट के मकसद से हो रहा है, वैट नहीं वसूलने विचार हो सकता है। बहरहाल अभी तक किसी एक्सपोर्टर को वैट वसूली से निजात नहीं मिली है और न ही रिफंड में तेजी आई है।
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