आयात शुल्क घटने से सोना तस्करी में कमी की उम्मीद, सेस लगने से आभूषण निर्यातक असमंजस में, पोर्ट पर अटके पड़े हैं जेवर

नई दिल्ली, राजीव कुमार। तस्करों के लिए सोना अब पहले की तरह सोणा नहीं रह जाएगा। इस सप्ताह सोमवार को अगले वित्त वर्ष के लिए पेश बजट में सोने पर आयात शुल्क कम कर दिया गया है। इससे सोने की तस्करी में भारी गिरावट की उम्मीद है। हालांकि, सोने के आयात पर सेस लगने से ज्वैलरी निर्यातक असमंजस में हैं। आयातित सोना लेने के दौरान पोर्ट पर उनसे सेस की मांग की जा रही है, जिस कारण फिलहाल ज्वैलरी निर्यातक सोने को पोर्ट पर ही छोड़ना मुनासिब समझ रहे हैं।

बजट में सोने पर लगने वाले 12.5 फीसद आयात शुल्क को घटाकर 7.5 फीसद कर दिया गया है। लेकिन सोने के आयात पर कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर सेस के नाम पर 2.5 फीसद शुल्क भी देना होगा। इस प्रकार सोने के आयात पर 10 फीसद शुल्क रह गया। सराफा विशेषज्ञों के मुताबिक, इस फैसले से सोने की तस्करी अब बहुत फायदेमंद नहीं रह जाएगी।

विशेषज्ञों के मुताबिक, कम कमाई के लिए तस्कर बड़ा जोखिम नहीं लेंगे। दिल्ली सराफा बाजार के थोक कारोबारी विमल गोयल के मुताबिक, निश्चित रूप से सोने की तस्करी में भारी गिरावट आएगी। उनका कहना है कि सोने का आयात शुल्क अगर आठ फीसद रह जाए तो भारत से सोने की तस्करी पूरी तरह समाप्त हो जाएगी।

सर्राफा बाजार के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर PC : Pexels

सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 में सोने के आयात शुल्क को 12.5 फीसद कर दिया था। उसी दौरान खाड़ी के कई देशों ने सोने पर अपने शुल्क को पांच फीसद कर दिया। मतलब तस्कर को भारत में सोना लाकर बेचने पर 7.5 फीसद शुल्क और तीन फीसद जीएसटी मिलाकर 10.5 फीसद के बराबर की कमाई थी। यही वजह है कि उस वित्त वर्ष में सोने की तस्करी में पिछले वर्ष के मुकाबले 67 फीसद का इजाफा देखा गया था। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच वर्षो में 11,000 किलोग्राम सोने की तस्करी की गई। वित्त वर्ष 2019-20 में 858 करोड़ रुपये के सोने अलग-अलग एयरपोर्ट पर जब्त किए गए।

सौजन्य से: दैनिक जागरण

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