सोने पर तीन फीसदी जीएसटी और 10% आयात शुल्क घटाने की सिफारिश

नीति आयोग ने सरकार को सोने पर जीएसटी और आयात शुल्क घटाने का सुझाव दिया है। सोने पर अभी 3% जीएसटी लगता है। इस पर आयात शुल्क 10% है। आयोग ने ज्वैलरी की मरम्मत पर जीएसटी रेट भी 18% से घटाकर 3% करने की सिफारिश की है। आयोग ने गोल्ड मॉनिटाइजेशन स्कीम और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की समीक्षा कर इन्हें आकर्षक बनाने और बैंकों में नए गोल्ड सेविंग्स अकाउंट शुरू करने की सलाह भी दी है। आयोग ने गोल्ड बोर्ड के गठन और देशभर में बुलियन एक्सचेंज खोलने का भी सुझाव दिया है ताकि सोने को रुपए में बदलने के ज्यादा से ज्यादा मौके मिल सकें।

नीति आयोग के प्रमुख सलाहकार रतन पी. वाटल के नेतृत्व वाली समिति की रिपोर्ट में ये सिफारिशें की गई हैं। समिति ने 26 फरवरी को वित्त मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी थी। इसे अब सार्वजनिक किया गया है। इसमें कहा गया है, पहले कस्टम ड्यूटी में कटौती के समर्थन में यह तर्क दिया जाता था कि इससे टैक्स कम्पलायंस सुधरेगा और सोने की तस्करी में कमी आएगी। इसी तर्क से देखें तो कम्पलायंस बढ़ाने के लिए सोने पर बेसिक कस्टम ड्यूटी को जितना संभव हो, कम किया जाना चाहिए।

बिजनेस रिपोर्टर | जयपुर

ज्वैलर्स एसोसिएशन, जयपुर के अध्यक्ष संजय काला के अनुसार नीति आयोग के सोने पर आयात शुल्क और जीएसटी घटाने के सुझाव पर यदि सरकार अमल करती है तो इससे इंडस्ट्री की काफी पुरानी मांग पूरी हो सकेगी। हमें बजट में भी इस घोषणा का इंतजार था लेकिन इस पर फैसला नहीं हो पाया। काला के अनुसार अभी ज्यादा ड्यूटी की वजह से जेनुइन मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट अधिक आ रही है जिससे ग्राहक तक महंगे उत्पाद पहुंच रहे हैं। जब ड्यूटी कम होगी तो लागत भी घटेगी और कारोबार भी बढ़ सकेगा।

राजस्थान सर्राफा संघ के अध्यक्ष सुभाष गुप्ता के अनुसार इस कदम से व्यापार पर टैक्स घटेगा और स्मगलिंग भी कम हो सकेगी। अभी अधिक ड्यूटी की वजह से व्यापार अाधा रह गया है। यदि सरकार ऐसा कुछ करती है तो इससे अच्छी बात इस इंडस्ट्री के लिए हो ही नहीं सकती।

र|ाभूषण निर्यात संवर्धन परिषद भी आयात शुल्क घटाने के पक्ष में रही है। परिषद का मानना है कि ड्यूटी घटने से हमारा काराेबार दूसरे देशों के मुकाबले प्रतिस्पर्धी हो सकेगा। अभी भारतीय पर्यटक दुबई, सिंगापुर आदि से खरीदारी कर लेते हैं क्योंकि वहां सोना सस्ता है। जब हम आयात शुल्क कम कर लेंगे तो हमारी विदेशी मुद्रा की भी बचत हो सकेगी। घरेलू और निर्यात कारोबार बढ़ेगा ही।

सौजन्य से: दैनिक भास्कर

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