सेवा कर की छूट 25 लाख तक होने की उम्मीद

नई दिल्ली : विपक्ष के विरोध के चलते वस्तु एंव सेवा कर (जीएसटी) भले ही संसद में अटका हो लेकिन सरकार इसे लागू होने से पहले ही परोक्ष कर संरचना को जीएसटी के अनुरुप ढालने में जुट गई है। इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढाते हुए केंद्र सेवा कर से छूट की सीमा में वृद्धि कर सकता है। माना जा रहा है कि सेवा कर से छूट की मौजूदा सीमा को दस लाख रूपये कोे बढा कर सालाना 25 लाख रूपये की जा सकती है। ऐसा होनेे पर छोटे कारोबारियों और नव उद्यामियों को काफी मदद मिलेगी। इस आशय की एक घोषणा आम बजट में हो सकती है।
सूत्रों ने कहा कि जीएसटी के तहत सालाना 25 लाख रूपये से कम के टर्न ओवर वाले कारोबारी को टैक्स की सीमा से बाहर रखने का प्रस्ताव है। इसका मतलब यह है कि अगर किसी कारोबारी का टर्न ओवर इस सीमा से कम है तो उसे जीएसटी के तहत पंजीकरण करवाना अनिवार्य नहीं होगा। सरकार जीएसटी लागू होने से पहले सेवा कर के मामले में टैक्स छूट की सीमा सालाना 25 लाख रूपये करने पर विचार कर रही है। फिलहाल सालाना 10 लाख रूपये के टर्न ओवर वाले व्यवसाय को ही सेवा कर का पंजीकरण कराने की अनिवार्यता से छूट प्राप्त है। मंत्री अरूण जेटली आम बजट में इसकी घोषणा कर सकते हैं। इससे दोहरा लाभ होगा। एक तो सेवा कर का ढांचा प्रस्ताविक जीएसटी के अनुरूप हो जायेगा, दूसरे नव-उद्यमों तथा छोटे कारोबारियों को टैक्स की जटिलता से राहत मिल जाएगी। इससे उन्हे टैक्स संबंधी नियमों का अनुपालन करने से मुक्ति भी मिल जाएगी। फिलहाल जिन व्यवसाइयों का कारोबार सालाना दस लाख रूपये से अधिक होता है, उन्हें बकायदा सेवा कर का पंजीकरण कराना होता है। उन्हे हर छमाही सेवा कर का रिर्टन भी दाखिल करना होता है। नई व्यवस्था में 25 लाख से अधिक तथा 75 लाख से कम कारोबार वाले व्यवसाइयों को जीएसटी के लिए पंजीकरण तो कराना होगा लेकिन उन्हे स्कूटनी से छूट मिल सकती है।

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