‘‘सावधान’’ आपको कोई देख रहा है

कहते है कि इंसान जो करता है उसको भगवान सब देखता है। यह बात तो बिलकुल सच है आप जो भी कर रहे है उसको भगवान देख रहा है मगर यह भी सच है अगर आप यह सब नहीं मानते तो भी कोई न कोई आपको देख रहा है आप क्या करते है, क्या खाते है, कैसा व्यवहार लोगों से करते है, घर पर क्या करते है, ऑफिस में क्या करते है?आपका कुछ भी लोगों से छुपा नहीं है आपकी अच्छी आदतें तो लोग जानते है और बुरी आदतें भी। मगर यह भी सच है कि आदतों को कोई दूसरा ग्रहण कर रहा है। वह चाहे आप के बच्चे हो या आपके नीचे काम करने वाले लोग।
वर्तमान परिवेश में बड़ों का अदब लिहाज, मान सम्मान लुप्त सा हो गया है। अधिकांश युवाओं ने परिवार में मिली स्वतंत्राता का दुरुपयोग किया। नि:संदेह शिक्षा के स्तर में सुधार हुआ है। युवा वर्ग में संस्कारों की भारी हानि हुई है जिसके लिए अभिभावक भी बराबर के हिस्सेदार है।
आज का युवा वर्ग, रिश्तेदार वृद्ध व शिक्षक के चरण स्पर्श करना तो दूर की बात है वह अपने माता-पिता तक को नमस्ते करना पसंद नहीं करते, अपनी बेइज्जती समझते है। एक वास्तविकता यह भी है कि अभिभावकों के पास समय की कमी के चलते वह अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते। बच्चों व माता-पिता में दूरी होने के कारण संस्कारों से तो बच्चे वंचित रह ही जाते है साथ ही रिश्तों की गरिमा व प्रेम भी नष्ट हो जाता है। अधिक धन एकत्रिात करने के चक्कर में अभिभावक न चाहते हुए भी बच्चों से दूर हो जाते है वह बच्चों के प्रति अपने कर्तव्यों को भूल जाते है। अधिकांश लोगों की यह सोच है कि धन से सब कुछ खरीदा जा सकता है, वह अपने बच्चों के लिए अधिक धन एकत्रिात कर देंगे तो उनका व उनके बच्चों का भविष्य बेहतर होगा। यह मानव की भूल है। बच्चे अगर काबिल व संस्कारी होंगे तो धन की कमी कभी नहीं हो सकती और अगर धन कमाने के चक्कर में बच्चे बिगड़ गए तो आपका जीवन नरक बनकर रह जायेगा। आपकी मेहनत की कमाई हुई रकम को वह आपकी आंखों के सामने ही खूब बर्बाद करेगा और आप कुछ नहीं कर सकेंगे क्योंकि वह आपकी अपनी संतान है। जिसके सुख के लिए आपने हराम-हलाल अच्छा बुरा कुछ नहीं देखा सिर्फ धन एकत्रिात करने में लगे रहे।
माता-पिता की जिम्मेदारी सिर्फ यहीं खत्म नहीं हो जाती कि उन्होंने अपने बच्चों को महंगे स्कूलों में दाखिला करा दिया और खर्चे के लिए पैसा दे दिया। अगर आपको अपना बुढ़ापा चैन से गुजारना है तो बच्चों की प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखनी होगी। उनकी संगत पर विशेष ध्यान देना होगा। संस्कार विद्यालयों में नहीं मिलते वह भी आपको ही मुहैया कराने पड़ेंगे। अगर आप अपने बच्चों से सुख पाने की आशा करते है तो पहले आपको अपने बुजुगो का सम्मान करना होगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि बच्चे माता-पिता का आईना होता है। गाड़ी ड्राईव करते समय अगर आप रेड लाईट जम्प करते है और साथ वाली सीट पर आपका बेटा है तो यह बात नोट कर लें कि एक दिन जब आपका बेटा ड्राईवर सीट पर होगा तो वह रेड लाईट अवश्य जम्प करेगा। इसीलिए यह भी बहुत जरुरी है कि आप बच्चों के सामने जो भी कार्य करें सोच समझकर करें क्योंकि अगर आप घर में बच्चों के सामने बैठकर शराब पीते है तो अगर वह कल को बाहर से शराब पीकर आ जाते है तो आप उन्हें रोक नहीं पाएंगे और न ही कोई आश्चर्य की बात होगी। क्योंकि शराब पीना उन्हें आपने सिखाया है। एक परिवार से समाज और समाज से देश बनता है इसलिए देश में अगर सुधार चाहते हो तो पहले खुद को सुधरना होगा। बच्चे स्वयं सुधर जायेंगे और देश का बेहतर निर्माण होगा।

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