सरकार ने पेश की ‘विदेश व्‍यापार नीति 2015-2020

 नई दिल्ली  : वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज विज्ञान भवन में बहुप्रतीक्षित ‘विदेश व्‍यापार नीति 2015-2020’ पेश की। इस नई पंचवर्षीय विदेश व्‍यापार नीति में वस्‍तुओं एवं सेवाओं का निर्यात बढ़ाने के साथ-साथ रोजगार सृजन करने और प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया’ विजन को ध्‍यान में रखते हुए देश में मूल्‍य वर्द्धन को नई गति प्रदान करने की रूपरेखा का जिक्र किया गया है। नई नीति में विनिर्माण एवं सेवा दोनों ही क्षेत्रों को समर्थन देने पर ध्‍यान केन्द्रित किया गया है। वहीं, नई नीति में ‘कारोबार करने को और आसान बनाने’ पर विशेष जोर दिया गया है।
श्रीमती सीतारमण ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि ऐसी कई ताकतें हैं जो भारत और शेष दुनिया के साथ उसके समीकरण को नया आकार दे रही हैं। उन्‍होंने विभिन्‍न चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार और उद्योग जगत से मिलकर काम करने का आग्रह किया।
विदेश व्‍यापार नीति पेश करने के साथ-साथ एक एफटीपी वक्‍तव्‍य भी जारी किया गया है, जिसमें भारत की विदेश व्‍यापार नीति को रेखांकित करने वाले विजन, लक्ष्‍यों एवं उद्देश्‍यों को विस्‍तार से बताया गया है। एफटीपी (विदेश व्‍यापार नीति) वक्‍तव्‍य में आने वाले वर्षों के दौरान भारत के वैश्विक करार समझौते का खाका भी पेश किया गया है।
‘एफटीपी 2015-2020’ में पहले से लागू कई योजनाओं के स्‍थान पर दो नई योजनाओं – भारत से वस्‍तु निर्यात योजना (एमईआईएस) और भारत से सेवा निर्यात योजना (एसईआईएस) की शुरुआत की गई है। एमईआईएस का उद्देश्‍य विशेष बाजारों को विशेष वस्‍तुओं का निर्यात करना है, जबकि एसईआईएस का उद्देश्‍य अधिसूचित सेवाओं का निर्यात बढ़ाना है। इसके तहत पात्रता और उपयोग के लिए अलग-अलग शर्तें रखी गई हैं। इन योजनाओं के तहत जारी की जाने वाली किसी भी स्क्रिप (पावती-पत्र) के लिए कोई शर्त नहीं रखी गई है। एमईआईएस और एसईआईएस के तहत जारी की जाने वाली ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप और इन स्क्रिप के एवज में आयात की जाने वाली वस्‍तुएं पूरी तरह से हस्‍तांतरण योग्‍य हैं। एमईआईएस के तहत इनाम देने के लिए देशों को तीन समूहों में श्रेणीबद्ध किया गया है। एमईआईएस के तहत इनाम की दरें 2 से लेकर 5 फीसदी तक हैं। एसईआईएस के तहत चुनिंदा सेवाओं को 3% और 5% की दर पर पुरस्कृत किया जाएगा।
ईपीसीजी योजना के तहत स्‍वदेशी निर्माताओं से ही पूंजीगत सामान खरीदने के उपाय किए गए हैं। इसके तहत विशेष निर्यात प्रतिबद्धता को घटाकर सामान्‍य निर्यात प्रतिबद्धता के 75 फीसदी के स्‍तर पर ला दिया गया है। इससे घरेलू पूंजीगत सामान निर्माण उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। इस तरह के लचीलेपन से निर्यातकों को स्‍थानीय एवं वैश्विक दोनों ही तरह की खपत के लिए अपनी उत्‍पादक क्षमताओं को विकसित करने में मदद मिलेगी। रक्षा एवं हाई-टेक उत्‍पादों के निर्यात को नई गति प्रदान करने के भी उपाय किए गए हैं। इसके साथ ही हथकरघा उत्‍पादों एवं किताबों, चमड़े के जूते-चप्‍पल और खिलौनों के ई-कॉमर्स निर्यात को भी एमईआईएस का लाभ (25 हजार रुपये तक के मूल्‍य के लिए) दिया जायेगा।
विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) से निर्यात बढ़ाने के लिए सरकार ने अब एसईजेड में स्थित इकाइयों को दोनों इनाम योजनाओं (एमईआईएस और एसईआईएस) का लाभ देने का निर्णय लिया है। उम्‍मीद की जा रही है कि इस कदम से देश में एसईजेड के विकास को नई गति मिलेगी।
नई विदेश व्‍यापार नीति में ‘व्‍यापार को सुविधाजनक बनाने’ एवं ‘कारोबार करने में और ज्‍यादा आसानी सुनिश्चित करने’ पर भी विशेष जोर दिया गया है। नई एफटीपी का एक प्रमुख उद्देश्‍य सप्‍ताह के सातों दिन 24 घंटे ‘कागज रहित कामकाज’ की तरफ कदम बढ़ाना है।
ऐसे निर्माता जो दर्जा धारक भी हैं, वे अब से अपने निर्मित उत्‍पादों को इस बात के लिए चरणबद्ध ढंग से खुद प्रमाणित कर सकेंगे कि वे मूल रूप से भारत के ही हैं। इससे द्वपक्षीय एवं क्षेत्रीय व्‍यापार समझौतों में वरीयता पाने में मदद मिलेगी। इस ‘मंजूर निर्यात प्रणाली’ से इन निर्यातकों को अंतर्राष्‍ट्रीय बाजारों में अपनी पहुंच बनाने में आसानी होगी।
स्रोत : पीआईबी
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