सरकार ने दिये ज्वैलरो को तंग न करने का आश्वासन, कितना सच्चा होगा यह आश्वासन?

नई दिल्ली : इस साल के बजट में आभूषणों पर 1 प्रतिशत (बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट) और 12.5 प्रतिशत (इनपुट टैक्स क्रेडिट के साथ) उत्पाद शुल्क लगाया गया है।
इस नाममात्रा के उत्पाद शुल्क पर भी निर्माताओं को क्रेडिट ऑफ इनपुट सर्विस लेने की अनुमति होगी। इसका उपयोग आभूषणों पर सीमा शुल्क के भुगतान के दौरान किया जा सकता है।
इस लेवी के बारे में आभूषण उद्योग और व्यापारियों ने कुछ आशंकाएं व्यक्त किए है। उस संदर्भ में लगाए गए इस उत्पाद शुल्क के मुख्य विशेषताओं की व्याख्या इस तरह है।
– पंजीकरण के प्रावधानों को आसानी से ऑनलाइन लागू करने, उत्पाद शुल्क के भुगतान और रिटर्न भरने और विभागीय अधिकारियों के जीरो हस्तक्षेप।
– केंद्रीय आबकारी अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे निर्माताओं के परिसर का दौरा न करें।
– चांदी के आभूषणों पर (हीरे, रुबी, रत्न और मणि जटित को छोड़कर) यह लेवी नहीं लगेगा।
– शिल्पकारों, स्वर्णकारों जो वर्क के आधार पर आभूषण निर्माण में लगे है उन्हें केंद्रीय आबकारी विभाग में न तो पंजीकरण कराने, न ही उत्पाद शुल्क देने और न ही रिटर्न भरने की जरुरत होगी। ये सारी जिम्मेदारियां प्रधान निर्माताओं को पूरी करनी होगी। (केंद्रीय आबकारी नियम, 2002 के नियम 12ए)
– एक साल में लघु उद्योग उत्पाद शुल्क छूट (एसएसआई) सीमा को छह करोड़ रखा गया है। यह सामान्य तौर पर एसएसआई छूट 1.5 करोड़ की तुलना में काफी अधिक है। इसके साथ ही 12 करोड़ रुपये की उच्च पात्राता सीमा का भी प्रावधान किया गया है। पहले यह सीमा चार करोड़ रुपये की थी।
– इस तरह अगर निर्माता का वित्तीय वर्ष 12 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार होता है तब उसे यह उत्पाद शुल्क देना होगा। वैसे निर्माता जिनका कारोबार 12 करोड़ रुपये से कम है वे अगले वर्ष छह करोड़ रुपये तक छूट प्राप्त करने के पात्रा होंगे।
ऐसे छोटे निर्माता मार्च 2016 में 50 लाख रुपये तक छूट प्राप्त करने के पात्रा होंगे।
– मार्च 2016 या वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए एसएसआई छूट प्राप्त करने के लिए निर्माताओं को चार्टेड एकाउंटेट से 2014-15 और 2015-16 के एकाउंट बुक के आधार पर जारी प्रमाण पत्रा देना होगा।
– इसके साथ ही वैकल्पिक केंद्रीकृत पंजीकरण की सुविधा कराई गई है। इसका अर्थ है कि निर्माताओं को अपने अलग-अलग निर्माण परिसरों के लिए अलग से पंजीकरण कराने की जरुरत नहीं होगी।
– अधिकारियों को परेशानी रहित पंजीकरण करने के निर्देश दिए गए है। पंजीकरण के आवेदन करने के दो कामकाज के दिन के भीतर पंजीकरण करना होगा। इसके अलावा पंजीकरण के बाद परिसरों का सत्यापन नहीं किया जाएगा। (ऑनलाइन पंजीकरण -https://www.aces.gov.in)
– आभूषण निर्माताओं के निजी रिकॉर्ड या राज्य के वैट रिकॉर्ड या मानक ब्यूरो के रिकॉर्ड (हॉलमार्क जेवरातों के मामले में) सभी केंद्रीय आबकारी उद्देश्यों के लिए मान्य होंगे। किसी केंद्रीय आबकारी अधिकारी के समक्ष अलग से स्टॉक की घोषणा नहीं करनी होगी।
– उत्पाद शुल्क का भुगतान हर महीने करना होगा न कि प्रत्येक निकासी पर। मार्च 2016 के लिए उत्पाद शुल्क की पहली किस्त 31 मार्च 2016 को भुगतान करनी होगी।
– उत्पाद शुल्क देने वाले आभूषण निर्माताओं के लिए सरलीकृत तिमाही रिटर्न भरने की संस्तृति की गई है। (ईआर-8)
– छूट प्राप्त इकाईयों (सीबीईसी के केंद्रीय आबकारी मैन्यूल के चैप्टर 7 के पार्ट।।।) के सरलीकृत निर्यात प्रक्रिया भी उपलब्ध है।

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