दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर भारतीय संस्कृति को अपने आप में समेटे हुए हैं। इसका वैभव, बेहतरीन शिल्प और परम आनंद का अनुभव इस मंदिर की ओर आकर्षित करता हैं। इस मंदिर का दर्शन हमें भारत की श्रेष्ठ और प्रसिद्ध कला की याद दिलाता हैं। अक्षरधाम मंदिर पर्यटकों को भारत की प्रसिद्ध कला की यात्रा पर ले जाता हैं। इसे स्वामीनारायण अक्षरधाम के नाम से भी जाना जाता है। प्राचीन मूल्यों और मानव सभ्यता के विकास में भागीदारी का जीता जागता उदाहरण हैं- अक्षरधाम मंदिर।
कुछ बरस पहले इस मंदिर को निर्माण शुरू हुआ तो यह सभी के लिए कौतुहल का विषय था। धीरे-धीरे इसका निर्माण होता गया और एक दिन अपने शिल्प सौंदर्य से सभी को मोहित कर लिया। प्रमुख स्वामी महाराज जी अक्षर पुरूषोतम् स्वामीनारायण संस्था, ग्यारह हजार कलाकार और हजारों स्वयंसेवकों का इसमें महत्वपूर्ण योगदान रहा। स्वामीनारायण भगवान को समर्पित यह पांरपरिक मंदिर भारतीय ऐतिहासिक कला, संस्कृति और वास्तुकला का बेजोड़ उदाहरण है।
निकंठ बरनी अभिषेकः इस मंदिर में यह प्रार्थना पारंपरिक ढंग से दुनिया की शांति के लिए की जाती है। 151 पवित्र नदियों का पानी, झील और तालाब के पानी से अपने, परिवार और दोस्तों के लिए प्रार्थना की जाती है।
मंदिर में मौजूद तीन हॉल में अलग-अलग जीवन के मूल्यों को सिखाया जाता है। हॉल-एक में मानव मूल्यों को फिल्म और रोबोट द्वारा प्रस्तुत किया जाता हैं। इनमें अहिंसा, ईमानदारी, पारिवारिक सामंजस्य और आध्यात्मिकता का प्रतिरूप दिखाया जाता हैं। हॉल नंबर दो में ग्यारह साल के योगी नीलकंठ द्वारा भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता की अविश्वसनीय कहानियां सुनने को मिलती है। यहां भारतीय वास्तुकला और कला का बेहतरीन और कभी न भूलने वाला अनुभव होता हैं। यह हमारे त्योहारों को बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत करता है। उन्हें समझने में मदद करता हैं।
हॉल- तीन के ‘कल्चरल बोट राइड’ में भारत के दस हजार साल की विरासतको खूबसूरती से दर्शाया गया हैं। भारत के ऋषि वैज्ञानिकों के अविष्कार और प्रयोग के बारे में जानने को मिलता है।
शाम के समय यहां आप संगीतमय फव्वारे का पंद्रह मिनट का आनंद ले सकते हैं। यहां जन्म, जीवन और मृत्यु को दर्शानिक तरीके से चित्रित किया गया हैं। 60 एकड़ में फैला यहां का बगीचा मैदान और तांबे की मूर्तियां दर्शनीय हैं। यहां का ‘लोटस गार्डन’ भी ध्यान आकर्षित करता हैं। अक्षरधाम मंदिर कलाकृति और खूबसूरती का बेमिसाल उदाहरण है।
आप यहां सुबह 9.30 बजे से शाम 6.30 बजे तक जा सकते हैं। यहां किसी भी मौसम में जाया जा सकता हैं। सोमवार को यह मंदिर बंद होता है। मोबाइल फोन ले जाना और फोटो खींचना यहां मना है।