नई दिल्ली : किसी शादी या कार्यक्रम में शामिल होने के लिए भारी-भरकम ज्वैलरी लेकर भारत आने वाले प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) और ऐसे ही कार्यक्रमों में सोना लेकर विदेश जाने वाले भारतीय नागरिकों को हो सकता है कि निकट भविष्य में कस्टम की परेशानी न झेलनी पड़े। सरकार ऐसा फ्रेमवर्क तैयार कर रही है, जिसमें ऐसी यात्राओं के लिए भारत आने वालों और यहां से जाने वालों को कस्टम क्लीयरेंस में किसी तरह की परेशानी न हो। पर्सनल बैगेज के जरिए होने वाली सोने की तस्करी रोकने के लिए बनाए गए सख्त नियमों से उन लोगों को भी दित होती है, जो अपने इस्तेमाल के खातिर ज्वैलरी लेकर आते हैं।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम (सीबीईसी) नई गाइडलाइंस बना रहा है, जिससे बैगेज रूल्स के तहत कस्टम पोट्र्स पर केवल व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए महंगी ज्वैलरी लाना आसान हो जाएगा।
विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि हम नियमों की समीक्षा कर रहे हैं। हम इस बात को अच्छी तरह से समझते हैं कि कुछ लोग शादियों और कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए ज्वैलरी लेकर आते हैं और उसे वापस भी ले जाते हैं।
यह पहल सीबीईसी के ईज ऑफ र्डूइंग बिजनेस प्लान का हिस्सा है। सीबीईसी ने कस्टम क्लीयरेंस को आसान और इसमें लगने वाले समय को करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें एजेंसियों की तरफ से की जाने वाली रिस्क-बेस्ड चेकिंग भी शामिल है।
पैसेंजर ट्रैफ्रिक के जरिए गोल्ड की तस्करी उस समय बढ़ी, जब इसका आयात घटाने के लिए सरकार ने कस्टम डूटी को बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया था। इसके अलावा, सोने की तस्करी रोकने के लिए सुरक्षा जांच को भी काफी सख्त कर दिया गया था।
यात्रिायों को पोट्र्स पर काफी मुश्किल भरी प्रक्रिया से गुजरना होता था। उन्हें ज्वैलरी की फोटोग्राफी करानी होती थी और एक अलग काउंटर में इसकी कागजी प्रक्रिया को पूरा करना होता था।
कार्ड या ऑनलाइन डूटी भुगतान करने जैसे अलग-अलग विकल्पों पर विचार किया गया है। इसका मतलब यह होगा कि ज्वैलरी के वैल्यूएशन के आधार पर एंट्री पर डूटी का भुगतान किया जा सकता है और व्यक्ति के लौटने पर उसे रिफंड किया जा सकता है।
इससे यह पक्का होगा कि अगर ऐसी ज्वैलरी लाई जाती है और उसे वापस नहीं ले जाया जाता है तो उस पर कस्टम डूटी वसूली जा सकेगी। ऑफिसर्स का कहना है कि इस मुद्दे पर जल्द ही अंतिम फैसला लिया जाएगा।