नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने इम्पोर्टेड सामान पर कस्टम क्लियरेंस के समय ही वैट वसूलने का फैसला किया है और इसके लिए वह वैट कानून में बदलाव करने जा रही है। हालांकि बिक्री से पहले ही वैट वसूलने की पहल विवादों में घिर सकती है, लेकिन इस मकसद से तैयार नए वैट अमेंडमेंट बिल में प्रस्ताव है कि सरकार टैक्स एक छोटा हिस्सा ही कस्टम क्लियरेंस के समय वसूलेगी और बाकी टैक्स बिक्री आकलन के बाद लिया जाएगा। सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम (सीबीईसी) ने दिल्ली वैट विभाग को पिछले दो साल में राजधानी में इम्पोर्ट करने वाले ट्रेडर्स का ब्योरा मुहैया कराया है। शुरुआती जांच में विभाग ने पाया है कि ज्यादातर डीलर्स ने वैट चोरी की है। वैट विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि नए अमेंडमेंट का मकसद इम्पोर्ट में हो रही वैट चोरी रोकना है। दिल्ली में बड़े पैमाने पर विदेशी कॉस्मेटिक्स, शराब, चॉकलेट, स्नैक्स, परफ्यूम, डिजिटल गैजेट्स की खपत होती है। दिल्ली के तीन इनलैंड कंटेनर डीपो (आईसीडी) और एयरपोर्ट के जरिए सालाना करीब डेढ़ लाख करोड़ का सामान आता है। इनमें से बहुत सा सामान अंडरवैल्यूड (वास्तविक मूल्य से कम एमआरपी दिखाकर) आयात होता है। जिससे केंद्र सरकार को भी इम्पोर्ट डूटी में भी चूना लगता है। लेकिन यही सामान घरेलू बाजार में दोबारा पैकेजिंग और लेबलिंग के बाद महंगे बेचे जाते हैं। दिल्ली सरकार को इस सेग्मेंट में बड़े पैमाने पर वैट चोरी का अंदेशा है। अमेंडमेंट प्रस्ताव में कहा गया है कि न सिर्फ दिल्ली में खपत होने वाले बल्कि दिल्ली से होकर दूसरे राज्यों में जाने वाले इम्पोर्टेड सामान को भी वैट कम्लायंस के दायरे में लाया जाएगा। ऐसे सामान पर भी राज्य सरकार वैट लेगी और उसे बाद में रिफंड करेगी। एक अन्य संशोधन प्रस्ताव के मुताबिक दिल्ली में 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की वैट चोरी पर मौजूदा छह महीने कैद की सजा को बढ़ाकर दो साल कैद करने का प्रावधान है। जुर्माने की रकम भी बढ़ाई जाएगी। वैट विभाग ने हाल ही में सीबीईसी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था। जिसके तहत दिल्ली में इम्पोर्ट करने वाले कारोबारियों की सूचनाएं साझा करने पर सहमति बनी थी। सीबीईसी ने फिलहाल दो साल का डेटा शेयर किया है। शुरुआती जांच में पता चला है कि ज्यादातर डीलर्स ने सही रिटर्न नहीं भरा है और बड़े पैमाने पर वैट चोरी हुई है। समझौते के बाद जुलाई-अगस्त में विभाग ने 1000 इम्पोर्टर्स की लिस्ट केंद्र को सौंपी थी और उनके ट्रांजैक्शन की जानकारी मांगी थी। पिछले महीने विभाग ने करोल बाग में एक एलईडी टीवी फर्म में रेड डालकर इम्पोर्टेड सामान की बिक्री में 10 करोड़ से ज्यादा की टैक्स चोरी पकड़ी थी। उधर, दिल्ली सरकार के कस्टम और दूसरे केंद्रीय करों की ओर रुख करने को जानकार चौथे वित्त आयोग की उस सिफारिश से जोड़कर भी देख रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि राज्य सरकार को केंद्रीय करों में वाजिब हिस्सा नहीं मिल रहा है।
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