नई दिल्ली: तस्करों के मंसूबों को नाकाम करने के लिए कस्टम जल्द एयरपोर्ट पर नया पहरेदार तैनात करने जा रहा है. कस्टम का यह नया पहरेदार महज चंद मिनट में कंटेनर और एयरक्राफ्ट के भीतर तस्करी के इरादे से छिपाई गई चीजों को आसानी से खोज निकालेगा. जी हां, कस्टम का नया पहरेदार कोई और नहीं बल्कि वीडियोस्कोप है. कस्टम जल्द ही वीडियोस्कोप को दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतराष्ट्रीय एयरपोर्ट सहित मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और अतिसंवेदनशील एयरपोर्ट पर तैनात करने जा रहा है. इन एयरपोर्ट के अलावा वीडियोस्कोप को सी-पोर्ट्स पर भी तैनात किया जाएगा. जिससे कंटेनर में सामान छिपाकर तस्करी की कोशिशों को विफल किया जा सके.
पहले चरण में तैनात होंगे 164 वीडियोस्कोप
कस्टम के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, वीडियोस्कोप को चरणवद्ध तरीके से देश के विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर तैनात किया जाएगा. पहले चरण में कस्टम ने 90 वीडियोस्कोप खरीदें हैं. वहीं नवंबर 2018 में 74 अन्य वीडियोस्कोप को खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जल्द ही, इन वीडियोस्कोप की खरीद प्रक्रिया पूरी कर इन्हें एयरपोर्ट, सी-पोर्ट और कंटेनर डिपो पर तैनात कस्टम की टीम को उपलब्ध करा दिया जाएगा. फिलहाल, उपलब्ध वीडियोस्कोप का ट्रायल दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता एयरपोर्ट सहित अन्य कस्टम प्वाइंट्स पर किया जा रहा है. ट्रायल के दौरान सब कुछ ठीक रहने पर वीडियोस्कोप सभी कस्टम यूनिट्स को मुहैया करा दिए जाएंगे.
क्या है वीडियोस्कोप
कस्टम के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, वीडियोस्कोप एक खास तरह का हाई रेज्यूडल्यूवशन वाला कैमरा है. यह कैमरा पतली फाइबर केबल के एक छोर में लगा होता है. इस फाइबर केबल में कैमरे के साथ एक लाइट भी लगी होती है. जिससे अंधेरे वाली जगहों पर रोशनी की जा सके. फाइबर केबल का दूसरा सिरा कम्यूटर स्क्रीन से जुड़ा होता है. वीडियोस्कोप को एक विशेष सॉफ्टवेयर के जरिए संचालित किया जाता है. यह साफ्टवेयर कैमरे द्वारा ली गई तस्वीरों को एनॉलाइस कर संदिग्ध वस्तु्ओं के बारे में कस्टम अधिकारियों को एक संकेत के माध्यम से सूचित करता है.
वीडियोस्कोप से कैसे रुकेगी तस्करी
कस्टम के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें तस्कर सोना सहित अन्य वस्तुओं को एयरक्राफ्ट के टॉयलेट पैनल सहित दूसरे हिस्सों में छिपा देते हैं. सामान्य जांच में इन जगहों तक पहुंचना कस्टम अधिकारियों के लिए आसान नहीं होता है. यदि वह इस जगहों की सघन तलाशी लेने के लिए एयरक्राफ्ट के कई पार्ट्स खोलना पड़ता है. उन्होंने बताया कि वीडियोस्कोप के जरिए बिना किसी विलंब के यह पड़ताल पूरी की जा सकेगी. जिन जगहों की तलाशी आंख से संभव नहीं है, वहां पर वीडियोस्कोप के जरिए बेहद आसानी से तलाशी पूरी की जा सकेगी. वहीं ऐसे तस्कर जो अपने बैगेज में गुप्त लेयर बनाकर सामान की तस्करी करते हैं, उनको भी पकड़ना बेहद आसान हो जाएगा.
source by : zee news hindi