ज्वैलरी होगी महंगी, इंपोर्ट होगा मुश्किल

हर महीने करीब पौने दो किलो गोल्ड ज्वैलरी का करने वाले ज्वैलर अब एक्साइज ड्यूटी के दायरे में आऐंगे। चांदी और रत्न जडि़त गहनों को छोड़कर सरकार ने सभी तरह के आभूषणों पर 1 पर्सेंट एक्साइज ड्यूटी लगाने का फैसला किया है उन ज्वैलर्स को 12.5 पर्सेंट की दर से एक्साइज ड्यूटी चुकानी पड़ेगी,जो कच्चे माल या आयात पर दिए गए टैक्स का क्रेडिट लेना चाहेंगे। जानकारों का कहना है कि इसका एक असर यह भी होगा कि फ्री ट्रेड़ एग्रीमेंट वाले देशों से बने बनाए गहने मंगाने के बजाय ज्वैलर घरेलू मैन्युफैक्चरर्स से गहने लेंगे।
बजट प्रस्ताव के मुताबिक, 6 करोड़ रूपये (बिना इनपुट टैक्स क्रेडि़ट) या 12 करोड़ रूपये सालाना (इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करने पर) से ज्यादा टर्नओवर पर 1 पर्सेंट एक्साइज ड्यूटी चुकानी होगी। पीएचडी चैंबर की इनडायरेक्ट टैक्स कमेटी के चैयरमैन विमल जैन ने बताया, ’छह करोड़ की छूट उन्ही ज्वैलर्स या मैन्युफैक्चरर्स को मिलेगी, जिन्होने पिछले वित्त वर्ष में 12 करोड़ से ज्यादा का कारोबार न किया हो। सरकार ने ज्वैलरी मेकर्स के सामने दो विकल्प रखे हैं या तो बिना सेनवैट क्लेम किये 1 पर्सेंट एक्साइज ड्यूटी दीजिए या 12.5 पर्सेंट एक्साइज ड्यूटी चुकाइए और कच्चे माल की खरीद या आयात पर दिये गए सर्विस या एक्साइज ड्यूटी (सीवीडी) का इनपुट टैक्स क्रेडिट ले लिजिए।’ उन्होंने बताया कि इसके दायरे में ज्यादातर ज्वैलरी आउटरेट्स और रिटेल चेन आ जाएंगी क्योंकि एक्साइज छूट की सीमा कंपनी की सभी यूनिटों को मिलाकर जोड़ी जाएगी।
जेम्स एंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन के चेयरमैन जी वी श्रीधर ने इसे इंडस्ट्री को अपसेट करने वाला कदम बताया और कहा कि एक्साइज ड्यूटी का बोझ एंड-कंंज्यूमर पर पडेगा। उन्होने कहा, ’ज्वैलरी मंहगी होगी और पूरी सप्लाई चेन की लागत बढ़ेगी। ज्वैलरी मैन्युफैक्चरिंग अभी लगभग पूरी तरह असंगठित क्षेत्र में है। इतने हाई वैल्यू टे्रड में 1 पर्सेंट ड्यूटी मायने रखती है।’
पीपी ज्वैलर्स के डायरेक्टर राहुल गुप्ता ने बताया कि शहरों में करीब 80 पर्सेंट ज्वैलरी मेकर और ज्यादातर बड़े ज्वैलर्स पर टैक्स का बोझ पडेगा। सालाना 20 किलो तक गोल्ड ज्वैलरी टैक्स फ्री होगी, लेकिन छोटे-छोटे मैन्युफैक्चरर भी हर महीने 10-15 किलो गहने बना लेते हैं। चंूकि उनका मार्जिन बहुत कम होता है, ऐसे में टैक्स का बोझ उन्हे आगे पास-ऑन करना पडेगा। उन्होने बताया कि एक्साइज लगने से बाहर से, खासकर टैक्स फ्री देशों से गहनों का आयात थमेगा। अभी तक ज्वैलरी के आयात पर 15 पर्सेंट इंपोर्ट ड्यूटी (सोने पर 10 प्रतिशत) लगती है, जो एफटीए देशों के मामले में शून्य है, लेकिन अब सोने पर एक्साइज ड्यूटी लगने से एफटीए से आयात भी काउंटरवेलिंग ड्यूटी के दायरे में आएगा। ऐसे में लोग बचना चाहेंगे।
सौजन्य से- द इकॉनोमिक टाइम्स

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