ज्यादा इम्पोर्ट ड्यूटी ने बिगाड़ा टेक्सटाइल कंपनियों का खेल

नई दिल्‍ली: मैन-मेड फाइबर पर पड़ोसी देशों की तुलना में भारत में अधिक इंपोर्ट ड्यूटी ने टेक्‍सटाइल इंडस्‍ट्री का खेल बिगाड़ दिया है। अधिक इंपोर्ट ड्यूटी होने की वजह से भारत में बने उत्‍पाद ग्‍लोबल मार्केट में अन्‍य देशों की तुलना में महंगे हैं। इस वजह से भारत से टेक्‍सटाइल व गारमेंट्स के निर्यात में भी गिरावट आ रही है। इंडस्‍ट्री जानकारों का कहना है कि यदि मैन-मेड फाइबर, जो कि ब्‍लेंडेड गारमेंट्स का एक प्रमुख कच्‍चा माल है, पर इंपोर्ट ड्यूटी कम हो जाती है, तो वह थाईलैंड, इंडोनेशिया और वियतनाम की बराबरी कर सकता है।textiles_2_356x200_2006_356
भारत में सबसे ज्‍यादा इंपोर्ट ड्यूटी
वर्ल्‍ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के आंकड़ों के मुताबिक, साउथईस्‍ट एशियन देशों में भारत में अधिकांश फाइबर्स पर 5-10 फीसदी कस्‍टम ड्यूटी है, जबकि प्रतिस्‍पर्द्धी देशों जैसे थाईलैंड, इंडोनेशिया और वियतनाम में सबसे कम जीरो से पांच फीसदी तक ही कस्‍टम ड्यूटी है। मैन-मेड फाइबर पर भारत में 12.5 फीसदी एक्‍साइज ड्यूटी है और इस पर इंपोर्ट प्रतिबंध भी लगे हुए हैं, जिसकी वजह से इस पर कुल मिलाकर 29 फीसदी ड्यूटी लगती है। विस्‍कोस फाइबर, जो बहुत अधिक उपयोग होने वाला मैन-मेड फाइबर है, पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी भी लगी हुई है और इसे मिलाकर इस पर कुल 46.3 फीसदी ड्यूटी है। इस भारी-भरकम ड्यूटी ने भारतीय गारमेंट्स को ग्‍लोबल मार्केट में गैर-प्रतिस्‍पर्द्धी बना दिया है।
टेक्‍सटाइल मंत्रालय कर रहा है बात
मैन-मेड फाइबर पर संभावित ड्यूटी कटौती के लिए टेक्‍सटाइल मंत्रालय फाइनेंस और रेवेन्‍यू डिपार्टमेंट के साथ बातचीत कर रहा है। टेक्‍सटाइल मंत्रालय के सेक्रेटरी एसके पांडा के मुताबिक यह मामला वित्‍त मंत्रालय के समक्ष उठाया गया है। चूंकि यह मामला ड्यूटी कट से जुड़ा हुआ है, जिससे सरकार को राजस्‍व का नुकसान होगा, इसलिए इसमें इतना अधिक समय लग रहा है।
भारत में महंगा, चीन में सस्‍ता
एक किलो विस्‍कोस फाइबर की कीमत भारत में तकरीबन 155 रुपए है, जबकि चीन में इसकी कीमत 111 रुपए है। यह अंतर फाइबर पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी की वजह से है। हर साल तकरीबन 900 करोड़ रुपए मूल्‍य का मैन-मेड फाइबर का इंपोर्ट गारमेंट्स निर्माताओं द्वारा भारत में किया जाता है।
घट रहा है एक्‍सपोर्ट
इस साल अप्रैल में भारत ने 2,480 करोड़ रुपए मूल्‍य के मैन-मेड फाइबर प्रोडक्‍ट्स का एक्‍सपोर्ट किया है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 6 फीसदी कम है। यह गिरावट भारत के प्रोडक्‍ट्स का अन्‍य देशों की तुलना में महंगे होने के कारण आई है। इंडियन टेक्‍सप्रेन्‍योर्स फेडरेशन के सेक्रेटरी प्रभु दामोदरन के मुताबिक महंगे मैन-मेड फाइबर की वजह से इनपुट कॉस्‍ट अधिक हो जाती है, जिससे भारतीय एक्‍सपोर्टर्स अपना बिजनेस खोते जा रहे हैं। अधिकांश ऑर्डर भारत से शिफ्ट होकर साउथईस्‍ट एशियन देशों के पास जा रहे हैं।
पड़ोसी देश छीन रहे हैं ग्राहक
सालाना 200 करोड़ रुपए मूल्‍य के फि‍निश्‍ड गारमेंट्स का एक्‍सपोर्ट करने वाली कंपनी कॉटन ब्‍लोसम इंडिया के डायरेक्‍टर मिल्‍टन जॉन ने बताया कि उनके प्रमुख ग्राहक वॉलमार्ट को उनसे कंबोडिया की एक कंपनी ने पिछले महीने छीन लिया। इसके पीछे केवल एक ही कारण है कि वहां के प्रोडक्‍ट्स भारत की तुलना में सस्‍ते हैं और अंतरराष्‍ट्रीय रिटेलर्स वहीं से खरीद करते हैं, जहां उन्‍हें प्रोडक्‍ट्स सस्‍ते मिलते हैं।

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