नई दिल्ली: गेहूं की अंतरराष्ट्रीय कीमत अधिक होने के चलते सरकार इसके इम्पोर्ट पर रोक लगा सकती है। पिछले दिनों करीब 5 लाख टन गेहूं इंपोर्ट के बाद अब विदेश से और गेहूं आने की संभावना घट गई है। विदेशी मार्केट में महीनेभर में गेहूं का भाव करीब 10-15 फीसदी बढ़ा है जिसे इंपोर्ट करने पर आटा मिलों की लागत बढ़ सकती है। ऐसे में आटा मिलें गेहूं इंपोर्ट को फिलहाल रोक सकती हैं।
रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशनल ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष एम के दत्ता के मुताबिक महीने भर पहले ऑस्ट्रेलिया में गेहूं का भाव 17,000-18,000 रुपए प्रति टन के करीब चल रहा था जो अब बढ़कर 20,000 रुपए के ऊपर पहुंच गया है, ऐसे में इंपोर्ट अब फायदे का सौदा नहीं रह गया है।
सरकारी गोदामों में पड़ी गेहूं के इस्तेमाल को बढ़ाने के लिए सरकार को विदेशों से गेहूं के इंपोर्ट पर काबू में करना होगा इसके लिए सरकार कभी भी गेहूं के इंपोर्ट पर 10 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी की घोषणा कर सकती है। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने पहले ही गेहूं के इंपोर्ट पर 10 फीसदी ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव दे दिया है।
दरअसल इस साल बेमौसम बरसात की वजह से गेहूं की क्वॉलिटी खराब हुई है, मिलें खराब क्वॉलिटी का गेहूं खरीदने से परहेज कर रही हैं और बढ़िया गेहूं के लिए कई मिलों ने इंपोर्ट का रास्ता चुना था। हाल ही में करीब 5 लाख टन गेहूं इंपोर्ट होकर भारत आया है और अगर भाव सही रहता तो और 5 लाख टन के लिए सौदे हो सकते थे।