केंद्र सरकार के लिए वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी के संग्रह में लगातार कमी का संज्ञान लेना आवश्यक हो गया था

Image result for gstNew Delhi : केंद्र सरकार के लिए वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी के संग्रह में लगातार कमी का संज्ञान लेना आवश्यक हो गया था। वह इसकी अनदेखी नहीं कर सकती थी कि सितंबर में जीएसटी संग्रह घटकर 91,916 करोड़ रुपए रह गया, जो अगस्त की तुलना में 6,286 करोड़ रुपए कम है। यह लगातार दूसरा महीना है, जब जीएसटी संग्रह घटा है। इस सिलसिले को देखते हुए ही सरकार ने एक ऐसी समिति गठित करने का फैसला किया, जो जीएसटी संग्रह में कमी के कारणों पर विचार करने के साथ ही टैक्स प्रशासन में सुधार के उपाय भी सुझाएगी। इस समिति को जिस तरह 15 दिनों के भीतर अपनी पहली रिपोर्ट सौंपने को कहा गया, उससे सरकार की गंभीरता का ही पता चलता है, लेकिन बेहतर होता कि इस समिति में टैक्स अधिकारियों के अलावा कारोबार जगत के भी कुछ प्रतिनिधियों को श्ाामिल किया जाता। कम से कम यह तो होना ही चाहिए कि समिति कारोबार जगत के लोगों से विचार-विमर्श अवश्य करे। दरअसल टैक्स अधिकारियों के लिए यह जानना जरूरी है कि व्यापारियों को किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है? उम्मीद की जानी चाहिए कि उक्त समिति जीएसटी में सुधार के ऐसे ठोस उपाय सुझाने में सफल रहेगी, जिससे यह टैक्स व्यवस्था और अधिक सुगम बने।
नि:संदेह जरूरत केवल इसकी ही नहीं है कि जीएसटी व्यवस्था और अधिक सरल बने, बल्कि इसकी भी है कि टैक्स चोरी का सिलसिला थमे। यह ठीक नहीं कि जीएसटी चोरी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। टैक्स चोरी में लिप्त लोगों को यह एहसास जितनी जल्दी हो जाए तो अच्छा कि ये सिलसिला अधिक दिनों तक चलने वाला नहीं। इसी के साथ सरकार को भी इस पर ध्यान देना होगा कि टैक्स चोरी रोकने हेतु उठाए गए कदम उन कारोबारियों की परेशानी का सबब न बनें, जो ईमानदारी से टैक्स चुका रहे हैं। चूंकि जीएसटी संग्रह में कमी से अर्थव्यवस्था में सुस्ती का भी संकेत मिलता है, इसलिए सरकार को इस पर भी ध्यान देना होगा कि यह सुस्ती कैसे दूर हो? हालांकि वित्त मंत्रालय की ओर से अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन इसे लेकर अभी भी सुनिश्चित नहीं हुआ जा सकता कि इन कदमों से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ ही जाएगी। इसमें दोराय नहीं कि कॉरपोरेट टैक्स में कटौती उद्योग जगत को प्रोत्साहन देने वाला एक बड़ा कदम है, लेकिन बात तो तभी बनेगी, जब उद्योगपति वास्तव में सक्रिय होंगे। बेहतर होगा कि सरकार जीएसटी संग्रह बढ़ाने के उपाय करने के साथ ही इस पर भी नजर बनाए रखे कि आर्थिक गतिविधियां अपेक्षित ढंग से तेजी पकड़ रही हैं या नहीं।
source by : nai dunia
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