नई दिल्ली: छोटे कारोबारियों की मांग है कि मेक इन इंडिया को सफल बनाने के लिए कच्चे माल के इंपोर्ट पर कस्टम ड्यूटी पर पूरी तरह हटा दी जाए। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय को लिखे पत्र में कारोबारियों ने कहा है कि भारी कस्टम ड्यूटी और अन्य टैक्सों की वजह से उनके उत्पाद की कीमत बढ़ जाती है, जबकि दूसरे देशों के उत्पाद सस्ते होते हैं। इस वजह से उनका कारोबार बढ़ नहीं पा रहा है।
38.89 फीसदी ड्यूटी का भुगतान करते हैं एसएमई
दिल्ली के नारायणा में ब्रुश बनाने बाले क्लाइमेक्स ब्रुशवेयर ने मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा है कि वे कच्चे माल के रूप में चीन से ब्रिशल्स मंगवाते हैं। इस कच्चे माल पर वे लगभग 38.89 फीसदी ड्यूटी का भुगतान करते हैं। ऐ्रसे में, भारत में बन रहे ब्रुश महंगे होते हैं, जबकि चीन के बने ब्रुश सस्ते होते हैं। और भारत के ब्रुश निर्माताओं को भारत ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में स्थापित होने का मौका नहीं मिल पाता।
मशीनरी पर भी न लगे कस्टम
इंडस्ट्रियल एरिया वेलफेयर एसोसिएशन, फरीदाबाद के चेयरमैन एसके अग्रवाल का कहना है कि बाहर के देशों को मेक इन इंडिया के लिए प्रोत्साहित करने के साथ साथ सरकार देश के उद्योगपतियों को भी प्रोत्साहित करे, इसके लिए जरूरी है कि एक्सपोर्ट कर रही कंपनियां, यदि विदेशों से मशीनरी या कच्चा माल मंगाती हैं तो उन पर कस्टम ड्यूटी न लगाई जाए, बल्कि उन्हें इंसेंटिव दिया जाए, इससे भारत में बन रहे उत्पाद सस्ता होगा और भारत के उत्पादों की धाक दूसरे देशों में होगी। अग्रवाल कहते हैं कि सरकार विदेशों में तैयार माल को आने से रोकने के लिए इंपोर्ट ड्यूटी या अन्य कदम उठाए, इससे भारत में भी भारतीय माल की खपत बढ़ेगी, जिससे छोटे कारोबारियों का कारोबार बढ़ेगा।
स्रोत : दैनिक भास्कर