नई दिल्ली : आयातकों और निर्यातकों के ऐसे मामले जो कस्टम से जुड़े होंगे, उनका अंतिम फैसला अब डायरेक्टर ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआई) के अधिकारी करेंगे। अभी तक यह कार्रवाई संबंधित उत्पाद शुल्क विभाग के स्तर से निपटाई जाती थी। अलग-अलग चरण में होने वाली इस प्रक्रिया में अनावश्यक देरी के चलते यह फैसला लिया गया है।
आयात-निर्यात में ड्यूटी की चोरी या अन्य सूचनाओं पर डीआरआई की टीम कार्रवाई करती है। इसके अलावा कारण बताओ नोटिस जारी करने का अधिकार भी डीआरआई के पास है।
इस मामले का अंतिम आदेश (कर निर्धारण) की कार्रवाई संबंधित कमिश्नर (सेंट्रल एक्साइज एंड कस्टम) कार्यालय से की जाती है। इस व्यवस्था में समय की बर्बादी तो होती है, विभाग को टैक्स मिलने में भी काफी वक्त लग जाता है। इसलिए करदाता और विभाग दोनों की सहूलियत के लिए अब कर निर्धारण का अधिकार भी डीजी डीआरआई के पास होगा। राजस्व विभाग के अधिकारी पवन खेतान की ओर से एक सर्कुलर जारी किया गया है।
इसमे यह व्यवस्था की गई है कि मामला पांच करोड़ से अधिक की ड्यूटी से जुड़ा है या कार्रवाई में सीज किए गए माल का मूल्य पांच करोड़ से अधिक है तो उनमें अंतिम आदेश जारी करने का अधिकार संबंधित एडिशनल डायरेक्टर जनरल (डीआरआई) का होगा। यही नहीं आयातक या निर्यातक ने यदि अपने माल का अधिक मूल्यांकन (ओवर वैल्युएशन) किया है या ऐसे मामले जहां जांच के दायरे में एक से अधिक कमिश्नरेट आते हैं तो वहां उस एडीजी डीआरआई को अंतिम निर्णय लेने का अधिकार होगा, जहां अधिक राजस्व का मामला बनेगा।
उदाहरण के लिए एक प्रकरण में कानपुर और दिल्ली दोनों स्थानों पर छापेमारी होती है। इसमें कानपुर में पांच करोड़ की ड्यूटी की चोरी पकड़ी जाती है और दिल्ली में दो करोड़ की तो कानपुर से संबंधित एडीजी मामले का निस्तारण करेंगे। इसके अलावा सभी मामलों का निस्तारण एडीजी के अधीनस्थ अफसर करेंगे।
स्रोत : अमर उजाला