कलेक्शन एजेंट ने की आत्महत्या, कस्टम विभाग में हडकंप

Under-the-table transactions...मुम्बई : देश के सबसे बड़े बदगाह न्हावा शेवा पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) के सी बर्ड यार्ड में पिछले सप्ताह एक कस्टम अप्रेजर के एक कथित ‘कलेक्शन एजेंट’ द्वारा आत्महत्या करने और अपने सूइसाइड नोट में आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने के पीछे के पूरे रैकेट का भंड़ाफोड करने से पूरे कस्टम विभाग में हडकंप मच गया है। पुलिस एजेंट की ‘आत्महत्या’ और कस्टम अधिकारी कलेक्शन रैकेट की जांच कर रही है। वहीं कस्टम हाउस एजेंटों (सीएचए) की असोसिएशन ने इस पूरे घटनाक्रम की जांच सीबीआई से कराने की मांग की।
सूत्रों के अनुसार, कस्टम विभाग में एक मोटे अनुमान के अनुसार, 50,000 करोड़ रूपये की रिश्वत जिसे कस्टम की भाषा में ‘स्पीड मनी’ कहा जात है हर साल कस्टम अधिकारियों को मिलती है। लेकिन सरकार के कड़े कानूनों और मीडिया की नजर के कारण कस्टम अधिकारी सीधे ही यह रकम न लेकर अपने कलेक्शन एजेंटों की मार्फत लेते हैं। किसी-किसी कस्टम अधिकारी के तो 5.6 तक कलेक्शन एजेंट होते है जो सीधें ही आयातकों-नियार्तकों के संपर्क में रहते हैं और हर काम के लिए उनका कमिशन बंधा होता हैं। यह रिश्वत का धंधा इतनी गहराई तक पहुंच गया है कि यदि किसी डॉक्यूमेंट में कोई खामी नहीं है तो भी कस्टम अधिकरी द्वारा उस डॉक्यूमेंट पर हस्ताक्षर करने का ‘मेहनताना’ तक बंधा होता है।
ये एजेंट अपने आप को ‘सीएचए’ अर्थात् कस्टम हाउस एजेंट कहते है जो बेलार्ड पियर स्थित कस्टम हाउस, न्हावा शेवा पोर्ट, एयरपार्ट एयर कार्गाे कॉम्लेक्स, कूरियर टर्मिनल, मुलुंड डॉक्स आदि जगह तैनात रहते हैं। यह एजेंट वसूल की गई रकम का 20 पर्सेंट हिस्सा अपने पास रखते हैं। एक मोटे अनुमान के अनुसार, एक अप्रेजर हर रोज अपने घर 1 लाख रूपये ले जाता है।
इस यार्ड में तैनात सीएचए संपत डेरे के पास इस अप्रेजर के लाखों रूपये कलेक्ट हो गए थे। अप्रेजर ने जब यह ‘पैसा’ मांगा तो डेरे ने कहा कि मैं घर पर तो इतनी बड़ी रकम रखता नहीं हूं। मैंनं रकम बाजार में रोटेट अर्थात इन्वेस्ट कर दी है। समय मिलते ही यह इन्वेस्ट एनकैश करके आपको दे दूंगा। अप्रेजर कुछ दिन तो चुप रहा लेकिन कुछ दिन बाद उसने अपने अन्य कलेक्शन एजेंट ‘आरएन’ से कहा कि डेरे ‘गद्दारी’ कर रहा है। इस पर इन एजेंटों ने डेरे के घर अपने गुंडे भेज दिए।
गुंडे डेरे के घर गये और डेरे के बीवी के सामने ही उसकी खूब पिटाई कर दी। इससे पैदा हुई शर्म के कारण डेरे ने आत्महत्या कर ली। आत्महत्या करने से पहले उसने एक सूइसाइड नोट लिखा है जिसमें उसने अपनी आत्महत्या करने की वजह बताई है और इस कलेक्शन रैकेट के बारे में पूरी जानकारी दी है। इस नोट में उसने यह लिखा है कि उस पर किसने हमला किया, किसने कराया है और यह रैकेट कैसे चल रहा है और अधिकारी एजेंट कितना कमा रहे हैं।
सौजन्य से : नवभारत टाइम्स

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