नई दिल्ली : हैंडलूम प्रॉडक्ट्स, लेदर फुटवियर, खिलौने, कस्टमाइज्ड गारमेंट सहित कुछ खास चीजों का निर्यात करने वाले छोटे कारोबारियों के लिए सरकार ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट इंसेंटिव की सुविधा देगी। इसके तहत 25 हजार रुपये कीमत (एफओबी) वाले कंसाइनमेंट दिल्ली, मुंबई और चेन्नई स्थित फॉरेन पोस्ट ऑफिसेज या कूरियर से एक्सपोर्ट किए जा सकेंगे। इन कंसाइनमेंट को मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया (एनईआईएस) नाम से शुरू की गई नई स्कीम के तहत बेनेफिट्स मिलेंगे। अगर सामान की वैल्यू 25 हजार से ज्यादा है तो भी 25,000 रुपये एफओबी तक बेनेफिट्स मिलेंगे। एनईआईएस के तहत एक्सपोर्ट पर लागू तीन तरह के करों- एक्साइज, कस्टम और सर्विस टैक्स में 2-5% तक रियायत का प्रस्ताव है।
विदेश व्यापार नीति में छोटे एक्सपोर्ट्स के लिए भी कई सुविधाओं का ऐलान हुआ। हालांकि सरकार का जोर उन मैन्युफैक्चरर्स और एक्सपोर्टर्स के प्रोत्साहन पर ज्यादा है, जो अपने प्रॉडक्ट में वैल्यू एडिशन और इनोवेशन का माद्दा रखते हैं। स्थानीय निर्यातकों को जहां डाक और कूरियर से माल भेजने पर नई स्कीम का लाभ मिलेगा, वहीं दिल्ली सहित 17 शहरों में एयर कार्गो कॉम्प्लेक्स पर 24 घंटे कस्टम क्लियरेंस की सुविधा लागू करने की बात कही गई है।
अब तक चली आ रहीं पांच स्कीमों की जगह लाई गई एनईआईएस के तहत उन प्रॉडक्ट कैटेगरीज को भी ज्यादा छूट देने की बात कही गई है, जिनमें महिला कामगारों की भागीदारी ज्यादा होती है। इसके तहत जेली कन्फेक्शनरी, कुकीज, पेस्ट्री, पापड़, चाय से लेकर गारमेंट, फुटवियर और घरेलू साजोसामान भी हैं।
जल्द खराब होने वाले कृषि व खाद्य उत्पादों के निर्यात के लिए एक सिंगल विंडो क्लियरेंस सिस्टम का भी ऐलान किया गया है। इसके तहत एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रॉडक्ट्स एक्सपोर्ट डिवेलपमेंट अथॉरिटी (एपीईडीए) के तहत कई एजेंसियों और विभागों को लाया जाएगा। इससे जहां निर्यातकों की ट्रांजैक्शन और हैंडलिंग लागत घटेगी, वहीं क्लियरेंस में देरी के चलते सामान खराब हो जाने की शिकायतें भी दूर होंगी। पॉलिसी में यह भी कहा गया है कि स्टेटस ग्रांट के लिए एक्सपोर्ट परफॉर्मेंस की गणना में उन निर्यातकों को डबल वेटेज दिया जाएगा, जो माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेस एक्ट 2006 के तहत रजिस्टर्ड हैं। जानकारों का कहना है कि मौजूदा पॉलिसी से ट्रांजैक्शन कॉस्ट 30 पर्सेंट तक घट सकती है।
स्रोत : ईटी